दिल्ली: केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति आ चुकी है. कांग्रेस ने शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि ढुलमुल है. कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई शिक्षा नीति की खामियों के बारे में बताया.
इसमें रणदीप सुरजेवाला, एमएम पल्लम राजू और प्रो. राजीव गौड़ा ने हिस्सा लिया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘नई शिक्षा नीति बहुत ही ढुलमुल है.
कोरोना के समय जब शिक्षण संस्थान बंद हैं, इसे लागू करने की क्या जल्दी थी. इसे लेकर न तो व्यापक विचार विमर्श किया गया और न ही इसे लागू करने में कोई पारदर्शिता बरती गई है. शिक्षा बजट में कुल बजट का दो फीसदी भी पैसा नहीं दे पा रहे मोदी जी तो कुल GDP का 6 प्रतिशत किस जमाने में दिया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल शब्दों, चमक-दमक, दिखावे औक आडंबर के आवरण तक सीमित रही है. इस नीति में न तो तर्कसंगत कार्ययोजना और रणनीति है. और न ही स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य है.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘अपने आप में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा नीति 2020 की घोषणा कोरोना महामारी के संकट के बीचों बीच क्यों की गई और वो भी तब, जब सभी शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं.
सिवाय बीजेपी-आरएसएस से जुड़े लोगों के, पूरे शैक्षणिक समुदाय ने आगे बढ़ विरोध जताया है कि शिक्षा नीति 2020 बारे कोई व्यापक परामर्श, वार्ता या चर्चा हुई ही नहीं.
हमारे आज और कल की पीढ़ियों के भविष्य का निर्धारण करने वाली इस महत्वपूर्ण शिक्षा नीति को पारित करने से पहले मोदी सरकार ने संसदीय चर्चा या परामर्श की जरूरत भी नहीं समझी. याद रहे कि इसके ठीक विपरीत जब कांग्रेस ‘शिक्षा का अधिकार कानून’ लाई, तो संसद के अंदर व बाहर हर पहलू पर व्यापक चर्चा हुई थी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘स्कूल और उच्च शिक्षा में व्यापक बदलाव करने, परिवर्तनशील विचारों को लागू करने तथा बहुविषयी दृष्टिकोण को अमल में लाने के लिए पैसे की आवश्यकता है.
शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने की सिफारिश की गई है. इसके विपरीत मोदी सरकार में बजट के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किया जाने वाला खर्च, 2014-15 में 4.14 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 3.2 प्रतिशत हो गया है.
यहां तक कि चालू वर्ष में कोरोना महामारी के चलते इस बजट की राशि में भी लगभग 40 प्रतिशत की कटौती होगी, जिससे शिक्षा पर होने वाला खर्च कुल बजट के 2 प्रतिशत (लगभग) के बराबर ही रह जाएगा. यानि शिक्षा नीति 2020 में किए गए वादों एवं उस वादे को पूरा किए जाने के बीच जमीन आसमान का अंतर है.’