प्रधानमंत्री आवास योजना में मजदूरी घोटाला का सनसनीखेज मामला
चतरा: चतरा में एक बार फिर प्रधानमंत्री आवास योजना में बिचौलियों के मिलीभगत से सरकारी बाबुओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा मजदूरी घोटाला का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. ताजा मामला जिले के अति पिछड़ा प्रतापपुर प्रखंड के सिद्की पंचायत से जुड़ा है. जहां पीएम आवास निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी लाभुकों को मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है.
ऐसे में पीएम आवास योजना क्रियान्वयन में दिन रात पसीना बहाने वाले मजदूरों को न सिर्फ काम के बावजूद अब तक मजदूरी का भुगतान हो सका है, बल्कि उनके समक्ष काम के बदले पैसा नहीं मिलने के कारण भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
ऐसा नहीं है कि सरकार ने मजदूरों से काम करा कर उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं किया है. आवास निर्माण के बदले लाभुकों के खातों में भेजने के लिए राशि का आवंटन भी हो चुका है. लेकिन सरकारी योजनाओं के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन को ले नियुक्त किए गए सरकारी बाबू के घूसखोर नीति के कारण मजदूरों और लाभुकों तक उक्त राशि नहीं पहुंच पाई है.
बगैर लाभुकों के जानकारी के पंचायत सेवक, रोजगार सेवक और स्वयंसेवके द्वारा बिचौलियों की मिलीभगत से अवैध निकासी कर उसे डकार लिया गया है. बताते हैं इन सरकारी नुमाइंदों द्वारा करीब डेढ़ सौ लाभुकों के आवास निर्माण से जुड़े मजदूरों के मजदूरी की राशि गबन की गई है. ऐसे में मजदूरों की मजदूरी भुगतान को आवंटित राशि का गबन होने के बाद मजदूर अब भुगतान की आस लिए वीडीओ से लेकर डीडीसी कार्यालय तक का चक्कर काट रहे हैं.
मजदूरों और लाभुकों का आरोप है कि एक तो कर्ज लेकर उन्होंने आवंटित पीएम आवास का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया है. दूसरी ओर उन्हें मजदूरों के मजदूरी की किस्त का भुगतान नहीं होने से तगादा का मार झेलना पड़ रहा है. इतना ही नहीं उन्हें बिचौलियों और सरकारी बाबुओं द्वारा डकारे गए राशि के भुगतान के लिए पैसे खर्च कर कार्यालयों का चक्कर भी काटना पड़ रहा है. लाभुकों और मजदूरों ने इस बाबत अविलंब भुगतान नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
आरोप है कि मजदूरों और लाभुकों ने इस बाबत मुखिया को भी मामले से अवगत कराया था. लेकिन उनके द्वारा भी इस दिशा में कोई सार्थक दिलचस्पी नहीं दिखाई गई. वहीं दूसरी ओर मुखिया पति ने आरोपों को स्वीकारते हुए मामले का सेटलमेंट कर लेने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि आधा दर्जन लाभुकों के साथ इस तरह की परेशानी आई थी. जिनके समस्याओं का निष्पादन अपने स्तर से करते हुए उन्हें पैसे का भी भुगतान कर दिया गया है.