जमुआ: ”कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होते, एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों” इस कहावत को लक्ष्मण ने सौ फीसदी सच कर दिखलाया है. जमुआ प्रखण्ड के अम्बाटांड़ के लक्ष्मण महतो ने मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन करने वाले लक्ष्मण महतो की जिंदगी में नया मोड़ तब आया जब वे 2010 में जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर द्विवेदी से मिले.
उन्होंने लक्ष्मण को कृषि को व्यवसाय के तौर पर अपनाने की नसीहत देते हुए कृषि विभाग की आत्मा के कार्यक्रमों से जोड़ा. आत्मा से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर लक्ष्मण ने नए तरीके से खेती जब शुरू किया तो कई गुना मुनाफा हुआ. उपज में उत्साहजनक वृद्धि हुई. फिर क्या था पूरा परिवार खेती में रम गया.
लक्ष्मण की मेहनत देख कृषि, उद्यान, मत्स्य एवं भूमि संरक्षण विभाग ने समय-समय पर अपनी योजनाओं से इन्हें नवाजने का भी कार्य किया.
किस-किस तरह की खेती करते हैं
लक्ष्मण सघन एवं पंक्तिबद्ध खेती करते हैं- धान, गेहूं, चना, मटर छिमी, हल्दी, ओल, मिर्च एवं सब्जियों की खेती खूब करते हैं.
बता दें कि 13 अक्टूबर को वे इजरायल के लिए रवाना हुए थे. 20 अक्टूबर को इजरायल से वापस हुए. सूबे के सीएम ने इजरायल से लौटे कृषकों का स्वागत किया. वे झारखण्ड सरकार द्वारा इजरायल जाने के लिए चयनित 24 कृषकों में से एक थे. इजरायल से लौटकर लक्ष्मण उत्साह से लबरेज हैं.
उन्होंने कहा कि इजराइल में पठारी एवं बंजर भूमि है फिर भी फसल लहलहाते हैं. टपक विधि से कम पानी से सिंचाई की तकनीक विकसित है. इजरायल मेंकहा कि वहां भोजन में 25 फीसदी कच्चे पक्के फल ही होते हैं. वहां उन्होंने खेती के कई अचूक और बेजोड़ नुस्खे सीखे हैं. जिसे वे जिले के किसानों को शेयर करना चाहते हैं, ताकि वे भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें.