फलक शमीम
रांची : झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा. यह मानसून सत्र 26 जुलाई तक चलेगा बता दें कि रघुवर सरकार का आखिरी मॉनसून सत्र होने जा रहा है. जिसे सुचारू रूप से चलाने के लिए स्पीकर डाॅ. दिनेश उरांव के अध्यक्षता में विधायक दल के नेताओं और विभिन्न विभागाें के सीनियर अफसराें के साथ बैठक की गयी. कुल पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र में 22 जुलाई को शोक प्रस्ताव और वित्तीय वर्ष 2019-20 का प्रथम अनुपूरक बजट पेश होगा. 23 जुलाई को प्रश्नकाल और अनुपूरक बजट पर चर्चां होगी. वंही 24, 25 और 26 जुलाई को प्रश्नकाल और राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्य होंगे.
इसी साल के अंत में झारखंड में विधानसभा का चुनाव होने वाले है, जिसे लेकर सरकार अंतरिम बजट पेश कर रही है. विधान सभा मॉनसून सत्र से पूर्व बैठक का उद्देश्य था कि सत्र के दौरान विधि व्यवस्था बनी रही और सत्र की कार्यवाही सुचारू रूप से हो, मगर बैठक में स्पीकर दिनेश उरांव , संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ मुंडा और नेताप्रतिपक्ष ही मौजूद दिखें. जिस वजह से नेताप्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष हमेशा से चाहती है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले. लेकिन कहीं न कहीं कार्यवाही से ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता पक्ष का ध्यान सिर्फ इस पर ही रहता है कि कैसे सदन की कार्यवाही बाधित हो.
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आज के अनुपस्थिति से भी बहुत कुछ साफ होता है. सदन चलाने के लिए मुख्यमंत्री सदन नेता होते है , विधायक दल की अहम भूमिका होती है. सदन में लेकिन आज के बैठक में उनका न आना बहुत कुछ बयां करता है. अब तो सदन ही मात्र एक ऐसा जगह है जंहा पूरे राज्य की बातों को विभिन विधायकों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा उठाए जाते. आज जिस तरीके से राज्य के हालात बनी हुई है, ऐसे में कई ऐसे सवाल है जो सरकार के गले की हड्डी बनी हुई है. जिससे सरकार बचने का काम कर रही है. कहीं न कहीं उन सवालों से सरकार भागने का प्रयास कर रही है.
सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब किस प्रकार देती है सरकार पर ही निर्भर करता है कि सदन को निर्भीक रूप से सुचारू रूप से चलने दें. जब हेमंत से उनके सदन में उठाये जाने वाले मुद्दों पर बात की गई तो उन सवालों से हेमंत बचते हुए दिखे. हालांकि आज के बैठक से ऐसा प्रतित होता है कि यह मॉनसून सत्र हंगामेदार हो सकता है.