BNN DESK: मकर संक्रांति लोहड़ी के दिन मनाई जाती है. इसे हिंदू धर्म के त्यौहार का खास पर्व माना जाता है. यह लोहड़ी से एक दिन बाद मनाई जाती है. इसे फेस्टिवल ऑफ काइट्स के रूप में भी जाना जाता है. मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्यदेव को समर्पित होता है. यह सूर्य के पारगमन के पहले दिन का संकेत होता है.
इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है. चलिए आपको बताते हैं इस त्यौहार का इतिहास.
इस त्यौहार को लेकर कई अलग अलग तरह की मान्यताएं हैं. ऐसा बताया गया है कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. ऐसे में उनका पुनर्जन्म न हो इसलिए उन्होंने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ही इच्छा-मृत्यु प्राप्त की.
ये है इसका इतिहास:
इस त्यौहार को लेकर कई अलग-अलग की मान्यताएं हैं. ऐसा बताया गया है कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. ऐसे में उनका पुनर्जन्म न हो इसलिए उन्होंने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ही इच्छा-मृत्यु प्राप्त की. उत्तरायण अवधि के इंतजार में वो अर्जुन द्वारा बनाई गई बाणशैय्या पर ही पड़े थे.
हालांकि इसके अलावा भी तमाम तरह की कथाएं प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक अन्य कथा भी है. माता यशोदा ने इसी दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत किया था. ऐसे में इस दिन कई महिलाएं तिल, गुड़, आदि दूसरी महिलाओं को बांटती हैं. साथ ही कहा जाता है कि भगवान विष्णु से तिल की उत्पत्ति हुई थी. इसका इस्तेमाल पापों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है.