मुम्बई: एक ऐसे कलाकार जिसे दुनियां कभी भुला नहीं सकती, हम बात कर रहें है इरफान खान की. इरफान खान ने इसी साल दुनिया को अलविदा कह दिया था. हाल ही में उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई कि उनके पसंदीदा अभिनेता की कब्र पर घास उग आई है. तस्वीर वायरल होने के बाद कब्र की साफ सफाई की गई और गुलाब के फूलों से सजाया गया. इरफान की पत्नी सुतापा सिकदार ने तस्वीर साझा की है. साथ ही एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है.
सुतापा ने यहां एक लेख का हिस्सा साझा किया, ‘मैं आपको कुछ बताऊंगी, हर दिन लोग मरते हैं और यह सिर्फ शुरुआत है. हर दिन घरों में अंतिम संस्कार होता है. नई विधवाएं और लोग अनाथ होते हैं. वो हाथ जोड़कर बैठ जाते हैं और इस जिंदगी के बारे में फैसला करने की कोशिश में जुट जाते हैं.‘
इरफान खान के बेटे बाबिल ने भी यही तस्वीर पोस्ट की है. इसके साथ बाबिल ने एक लेखक की लाइन लिखी, ‘जब एक आदमी पैदा होता है, तो वह कमजोर और लचीला होता है. जब वह मर जाता है, तो वह कठोर और असंवेदनशील होता है. जब एक पेड़ बढ़ रहा होता है, तो वह कोमल होता है, लेकिन जब वह सूखता है और कठोर होता है, तो वह मर जाता है. कठोरता और शक्ति मौत के साथी हैं.‘ बाबिल ने आगे लिखा, ‘आप कभी कठोर नहीं रहे, आपकी क्षमाशील और संवेदनशील आत्मा है.’
इससे पहले बाबिल खान ने एक पोस्ट साझा किया था कि, ‘मौत उन लोगों के लिए दर्दनाक होती है जो आपके दिल के सबसे करीब हों, लेकिन आपने मुझे सिखाया कि मौत केवल एक शुरुआत है. इसलिए मैं यहां अपने मन में आपकी जिंदगी को सेलिब्रेट कर रहा हूं. मैं ‘द बीटल्स’ के गाने सुन रहा था लेकिन आपने मुझे ‘द डोर्स’ का जुनून चढ़ा दिया और हम साथ में गाया करते थे. मैं अभी भी वो गाने गाता हूं और तब आपको महसूस करता हूं.’
प्रशंसकों की नाराजगी पर सुतापा ने दिया था जवाब
प्रशंसकों की नाराजगी पर सुतापा सिकदर ने लिखा, ‘औरतों को कब्रिस्तान में जाने की अनुमति नहीं होती है इसलिए मैंने रात की रानी इगतपुरी में लगाया था, जहां उनकी मेमोरी स्टोन भी लगाई है. उनकी कुछ और पसंदीदा चीजें दफ्नाई हैं. वो जगह मेरी अपनी है, जहां मैं घंटों बिना किसी की टोका-टाकी के बैठ सकती हूं. उनकी रूह वहीं हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कब्र को ऐसे ही छोड़ दिया जाए. मौजूदा परिस्थिति की बात है तो बारिश में जंगली घास उग आती है. जिस फोटो की आप बात कर रही हैं, उसमें मुझे यह जंगली घास खूबसूरत लगी. बारिश होती है, तो पौधे आते हैं और अगले मौसम में सूख जाते हैं, जिसके बाद उसे साफ किया जा सकता है. हर चीज का ठीक उसी तरह होना जरूरी है क्या, जैसा परिभाषित किया गया है? क्या पता, पौधों को बढ़ना एक उद्येश्य के तहत हो.‘