जेएमएम विधायक पर जन-अदालत लगाकर पिटाई का निर्देश देने का लगा था आरोप
रांची:- झारखंड में बोकारो जिले की तेनुघाट व्यवहार न्यायालय ने मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो समेत सात लोगों को संतोष पांडेय हत्याकांड मामले में उम्रमैद की सजा सुनायी है, जबकि तीन अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के आरोप में बरी कर दिया.
तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के जिला जज प्रथम राजीव रंजन कुमार की अदालत ने बोकारो जिले के नावाडीह थाना क्ष्क्षेत्र में वर्ष 2014 में चर्चित संतोष पांडेय हत्याकांड मामले में मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो, गणेश भारती, नेमी पुरी, कैलाश पुरी, जितेंद्र पुरी, नीरज पुरी एवं केवल महतो को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सभी अभियुक्तों पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जबकि तीन अभियुक्तें ं सत्येन्द्र गिरी, मेहलाल पुरी एवं सूरज पुरी को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया है.
बताया गया है कि नावाडीह थाना क्षेत्र के अलारगो गांव निवासी संतोष पांडेय की हत्या 20 मार्च 2014 को कर दी गयी थी. इस संबंध में मृतक के बड़े भाई की ओर से थाने में मामला दर्ज किया गया था. दर्ज प्राथमिकी में कहा गया था कि उसके छोटे भाई संतोष पांडेय को तत्कालीन डुमरी विधायक जगरनाथ महतो ने अपने आवास के सामने जनता दरबार लगाकर पीटने का आदेश दिया था. फिर विधायक के भाई बैजनाथ महतो की अगुवाई में उसके भाई को पीटा गया था. पिटाई से बेहोश हुए भाई को डीवीसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई. संतोष को मौत की यह सजा प्यार करने के जुर्म में दी गयी थी. जिस लड़की से उसने प्रेम किया था उसे कुछ दिन पहले तक ट्यूशन पढ़ाया करता था. उसे लगा कि यहां उसके प्रेम को स्वीकार नहीं किया जायेगा तो वह प्रेमिका के साथ उसके कहने पर ही चेन्नई चला गया था. इसकी जानकारी गांव पहुंची तो कई लोग चेन्नई पहुंचे और उन दोनों को लेकर गांव आये. रास्ते में भी संतोष को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया. गांव पहुंचने के पहले ही लड़की को ट्रेन से उतारकर किसी रिश्तेदार के घर भेज दिया गया और संतोष को गांव में लगी अदालत में पेश किया गया, जहां उसे बेरहमी से पीटा गया. इस मामले में 4 जनवरी को अदालत ने सात लोगों को दोषी करार दिया था.
इससे पहले अभियोजन पक्ष की ओर से 34 गवाहों का बयान न्यायालय में दर्ज किया गया. इस मामले में जगरनाथ महतो को भी तब इस मामले में आरोपी बनाया गया था, लेकिन घटना के तत्काल बाद एसआईटी जांच में उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. उन्हें इस मामले से क्लीनचीट दे दिया गया. जांच के बाद दस अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया. मामले की सुनवाई लगभग सात वर्षों में पूरी हुई.