नीता शेखर,
रांची: हर इंसान का जीवन के प्रति अपना नजरिया होता है! कोई सोचता मैं जो कर रहा हूं वही सही है पर वही चीज दूसरे अलग नजरिए से देखते हैं. सबके जीवन में एक पल आता है जब उसका नजरिया बदल जाता है! ऐसा ही कुछ हुआ था शोभा के साथ जो कुछ घटित हुआ उससे उसका नजरिया ही बदल गया….
उसके घर के सामने एक कपल रहते थे. उनको देखकर ऐसा लगता था दोनों शायद एक दूसरे के लिए ही बने हैं. उन्हें शोभा ने कभी गलत नजरिए से देखा ही नहीं. शोभा भी बड़ी हो रही थी.
उसकी भी शादी करने के दिन नजदीक आ गए थे. दीपक भी बहुत अच्छा लड़का था. दोनों अपने भविष्य की कल्पना में खोये रहते. अचानक एक दिन काफी शोर मच रहा था. शोभा भी बाहर निकल गई. पता चला सामने वाले कपल में उसकी बीवी ने सुसाइड कर लिया है. यह सुनकर शोभा काफी घबरा गई. ऐसा क्या हुआ कि उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली. वह काफी उलझन में थी. आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या हुआ था? जिससे उनको यहां तक पहुंचने की जरूरत पड़ गई.
इतनी परेशान हो उठी कि उसे शादी के नाम से डर लगने लगा. जो शोभा कल तक इतनी खुश थी आज उसका शादी को लेकर नजरिया ही बदल गया. उसे बार-बार यही लगता जो कपल इतने सुंदर सुलझे हुए थे. उनके साथ ऐसा क्या हुआ जो इस तरह के हालात हो गए. जाने वाली तो जा चुकी थी पर उसका गहरा असर शोभा के दिमाग पर पड़ा था. वह इतना सोचने लगी कि उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी. अब उसका शादी के प्रति नजरिया भी बदलने लगा. उसके मन में डर का घर बन गया था. उसको मनोचिकित्सक को दिखाना जरूरी हो गया.
डॉक्टर ने कहा इसके अन्दर डर बैठ गया है जिसमें जरूरत थी दीपक की. जो उसके अंदर बैठे डर को निकल सके. उतना हमारा समाज आधुनिक नहीं फिर भी उन लोगों ने कहा बात करनी होगी.
दीपक ने सबसे कहा कि आप चिंता ना करें. यही शादी के बाद होता तो क्या मैं शोभा को छोड़ देता. उसकी बातें सुनकर सब बड़े खुश हो गए. अब दीपक को शोभा से मिलना था. उसने अपने मन में विचार किया कैसे बात करनी है. दीपक को देखते ही शोभा घबरा गई. उसने दीपक से कहा नहीं नहीं मुझे आपसे नहीं मिलना. मुझे शादी नहीं करनी.
फिर दीपक ने बड़े ही प्यार से समझाया. देखो दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं. सबका अपना-अपना नजरिया होता है जो चीज बाहर से जैसी होती है अंदर से वैसी नहीं होती. हर चीज का दो रूप होता है. नारियल ऊपर से कड़ा पर अंदर से मुलायम होता है. वैसे ही इंसान कई तरह के होते हैं. सबका अपना-अपना नसीब होता है. फिर दीपक रोज उसको बड़े प्यार से समझाने लगा. उसका असर यह हुआ कि शोभा धीरे धीरे ठीक होने लगी और एक दिन ऐसा आया कि दीपक शोभा के दरवाजे पर बरात लेकर खड़ा था. आज उनकी शादी को 10 साल हो गए. दोनों बहुत ही खुश हैं.
जीवन में बिना उद्देश्य से चलना किसी प्रकार की दिशा प्रदान नहीं करती है. जीवन जीने के प्रति नजरिया व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. इसलिए हर इंसान को अपने नजरिए पर काम करना चाहिए. अगर आपका नजरिया खुशी और सुख तलाशने वाला होगा तो सुख और कोशिश भी आपके तरफ आकर्षित होने लगेंगी. जैसे दीपक ने अपने नजरिए को अच्छा रखा तो उसे खुशी और सुख दोनों ही मिले.