खूंटी: खूंटी जिले के दुली गांव में गैर सरकारी संस्था प्रदान के सहयोग से अब किसान गोड़ा धान की खेती कतारबद्ध तरीके से ड्राई-वीडर की मदद से करने लगे हैं. इस तरीके से खेती करने से किसानों को घास निकालने में मेहनत नहीं करनी पड़ती है.
धान बराबर दूरी पर लगाने से बीच में उगे घास या खर पतवार को ड्राई-वीडर की सहायता से निकाला जाता है. इससे घास धान के बीच में ही उखड़ती है और उसी में वह खाद बन जाता है इस तरह की खेती खूंटी प्रखंड के कई गांव में पहली बार की गई है.
गांव में परंपरागत धान की खेती बुनाई के माध्यम से की जाती थी. किसान खेतों में हल या ट्रैक्टर चलाकर धान को यहां वहां छीटते थे, ऐसा करने से पूरे खेत में धान के पौधे खचाखच भरे होते थे. लेकिन इस तरह की खेती से धान के पौधों की तुलना में उपज कम ही होता था.
प्रदान के सहयोग से किसानों को कतारबद्ध तरीके से टांड़ भूमि पर खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया और वे पहली बार कतारबद्ध तरीके से धान की खेती किए हैं. ऐसा खेती करने से किसानों को घास निकालने में ड्राई-वीडर की मदद आसानी होने लगी.
अब महिलाएं भी झुक कर घास नहीं निकालती है. ड्राई-वीडर की सहायता से खड़े खड़े ही पूरे खेत में मशीन चलाती हैं और घास स्वतः धान के बीच में ही उखड़ कर खाद बन जाता है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार धान की फसल अच्छी होगी और अन्य वर्षों की तुलना में बेहतर उत्पादन होगी.
एक नंबर और दो नंबर खेत के ऊपर वाले हिस्से में अधिकांश किसान मडुवा या अन्य खेती करते थे. अब कतारबद्ध तरीके से धान की गैर परंपरागत तरीके से तकनीक का इस्तेमाल करने से किसानों के समय की बचत होती है, मजदूर भी अब खेत मे कम लगाने होते हैं और तकनीक का इस्तेमाल करने से अब अब घास निकालने के लिए झुक कर 7-8 घंटे काम नहीं करना पड़ता है.
तकनीक के इस्तेमाल ने किसानों के समय बचत के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार टांड़ भूमि पर की गई खेती और वीडिंग के लिए ड्राई-वीडर तकनीक का इस्तेमाल धान की बेहतर पैदावार देगा.