नीता शेखर,
रांची: ‘होइहि वही जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा’ यह प्रसंग उस समय का है, जब शिव ने सती को प्रभु राम के बारे में बताया था कि परब्रह्मा वही हैं. तब शक्ति ने विश्वास नहीं किया था, परंतु आज समय है अपने आप पर विश्वास करने का और लॉकडाउन में अपने कर्तव्यों का पालन करने का.
सबसे पहले तो हमारे जेहन में आता है कि हमारे कर्तव्य क्या हैं. आम जनता का कर्तव्य क्या है. आज देश जिस स्थिति से गुजर रहा है, उसमें केवल सरकार, डॉक्टर, पुलिस, नर्स का ही कर्तव्य नहीं है कि वे सेवा करें, बल्कि हमारा भी कर्तव्य है कि हम सब उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलें. उनको सहयोग दें.
अगर वे कहते हैं कि आप अंदर रहें तो करोना बाहर रहेगा. ऐसे में हमारा यह कर्तव्य है कि हम उनके आदेश का पालन करें. अगर हम अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे तो इस समय जो देश पर भारी संकट आन पड़ा है, उसको दूर कैसे करेंगे। इसलिए अपने आप को जांचे परखे और सोचे कि मैं कौन हूं.
इस समय मैं कि नहीं हम की जरूरत है. हम कौन हैं. हम इस समाज में रहते हैं. पहले हम जन्म लेते हैं, फिर हम एक परिवार का निर्माण करते हैं. उस परिवार से हम अपने आसपास के लोगों द्वारा समाज का निर्माण करते हैं. इसी समाज में हम रहते हैं. सब अपने-अपने कर्तव्यों के द्वारा एक दूसरे की सेवा करते हैं.
आज इस संकट की घड़ी में जनता का भी कर्तव्य है कि वह अपने देश और समाज के लिए कुछ करें. अब प्रश्न यह उठता है कि आम जनता कैसे मदद करें. तो उन्हें केवल इतना ही करना है कि वे सरकार की बातों को ध्यान से सुनें. आदेश का पालन करें. घर से बाहर ना जाएं. अगर आपके आसपास कोई भी इंसान भूखा दिखे तो उसे भोजन कराएं.
अगर आप के आसपास कोई बीमार व्यक्ति दिखे है तो तुरंत हेल्पलाइन पर खबर करें. हमारी इतनी ही कोशिश से अपने देश और देशवासियों के लिए काम कर सकते हैं.
महामारी को रोकना केवल सरकार या पुलिस डॉक्टर, नर्स का या जो भी समाज सेवक हैं, उनका ही कर्तव्य नहीं है. हम अपना कर्तव्य निभाकर अपने द्वारा किए हुए अच्छे कामों के द्वारा सहयोग देकर सरकार और देशवासियों को बचा सकते हैं. आज जरूरत है सबको सबका साथ देने की. सबका मनोबल बढ़ाने की.
हो सकता है कि आपकी एक कोशिश कईयों की जान बचा सकती है. इसलिए हमें अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए, ना कि केवल हम सरकार और राज्य सरकार के भरोसे रहकर अपने को सुरक्षित रखें. जरूरत है कि इस समय साथ निभाने का.
अपने कर्तव्यों का पालन करने का. आप जितना सहयोग करेंगे उतनी जल्दी हम इस महामारी को खत्म कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे. अब वक्त आ गया है वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। प्रात: हो या रात संग हो ना साथ. वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो. और थोड़े दिन की है बात. फिर होगी एक नयी सुबह. थोड़ा सा धीरज रख लेने से सवेरा आएगा. करोना भाग जाएगा. वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो.