बीजिंग: एकाएक दुनियाभर में लगातार बढ़ती जा रही कोरोना वायरस की समस्या से आज के समय में हर कोई परेशान है. वहीं इस वायरस के बढ़ते प्रकोप व महामारी की चपेट में आने से आज न जाने ऐसे कितने लोग है जिनकी जाने जा चुकी है.
इतना ही नहीं इस वायरस की चपेट में आने कर रोज लाखों की तादाद में लोग संक्रमित हो रहे है. वहीं कोरोना वायरस से दुनियाभर में मृत्यु का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण आज पूरा मानवीय पहलू तबाही की छोर पर आ खड़ा हुआ है.
आज इस वायरस की चपेट में आने से 2 लाख 87 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. व अब भी इस बात को खुलकर नहीं बोला जा सकता है कि इस वायरस से कब तक निजात मिल पाएगा व दशा ने कब सुधार होगा.
कोरोना महामारी की वजह से पिछले कुछ महीनों से ठप्प पड़े कई मुल्क अब वापस से खुलने लगे हैं. दिसंबर में चाइना के वुहान से फैले जानलेवा वायरस की वजह से दुनियाभर में 200 से अधिक देश प्रभावित हुए जिसके बाद कइयों ने सतर्कता बरतते हुए लॉकडाउन लगाने का निर्णय किया.
हालांकि इससे कुछ अधिक फायदा नहीं दिखा व कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती रही. वहीं लॉकडाउन की वजह से कई मुल्कों की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव हुआ. ऐसे में अब कई राष्ट्रों ने अपने यहां से या तो लॉकडाउन को हटाने का निर्णय किया है या कइयों ने इसमें ढील देने की तैयारी कर ली है.
लेकिन दुनिया के एक शीर्ष स्वास्थ्य ऑफिसर ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर कोरोना संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों की जांच किए बगैर लॉकडाउन खोला गया तो ये बहुत खतरनाक होगा व कोरोना को रोकना कठिन होगा.
फ्रांस व बेल्जियम द्वारा लॉकडाउन खोलने, नीदरलैंड द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने व कई अमेरिकी राज्यों द्वारा व्यापारिक प्रतिबंध हटाकर आगे बढ़ने के निर्णय के बाद यह चेतावनी जारी की गई है.
अधिकारियों ने आगाह किया है कि बिना व्यापक परीक्षण व संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाए बगैर संक्रमण फिर से तेजी से फैल सकता है. जर्मनी, दक्षिण कोरिया व चाइना के वुहान में इसका परिणाम भी देखने को मिला जब यहां लॉकडाउन खोलने के बाद फिर से संक्रमण के मुद्दे सामने आने प्रारम्भ हो गए.
लॉकडाउन खोलने को लेकर दुनिया स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी लगातार चेतावनी जारी कर रहा है व वायरस के असर को लेकर भी सचेत कर रहा है. वैसे कोरोना से दुनियाभर में 42 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं व दो लाख से अधिक मौतें हुई हैं. इसमें अमेरिका में ही सिर्फ 80 हजार से अधिक लोगों की जान गई है.