लखनऊ: सोमवार से यात्री सुविधाओं से लेकर राजस्व तक में मुकाम हासिल करने वाला लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट निजी हाथों में चला गया. अब अडाणी ग्रुप इसके विकास, प्रबंधन और वित्तीय मामलों के फैसले लेगा.
शनिवार को दिल्ली से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों की टीम तैयारियों का जायजा लेने लखनऊ पहुंची थी. अडाणी समूह को 50 सालों के लिए एयरपोर्ट की कमान सौंपी गई है.
अडाणी ग्रुप ने आज से हवाईअड्डा संभाल लिया है, लेकिन तीन साल तक वह एयरपोर्ट प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगा. एयरपोर्ट निदेशक को छोड़कर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 124 एक्जीक्यूटिव और नॉन एक्जीक्यूटिव अधिकारी व कर्मचारी पहले की तरह ही काम करेंगे, लेकिन निर्देशन अडाणी ग्रुप के अधिकारियों का रहेगा.
यह एक तरह से संयुक्त प्रबंधन का समझौता है, जो एक साल तक चलेगा. इसके बाद दो साल के लिए यही कर्मचारी डीम्ड डेपुटेशन पर अडाणी ग्रुप के लिए काम करेंगे.
सीआईएसएफ, फायर फाइटिंग भी प्राइवेट हाथों में
अमौसी एयरपोर्ट पर अर्द्ध सैनिक बल सीआईएसफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है. एयरपोर्ट प्राइवेट हाथों में जाने के बाद आज से यह भी अडाणी ग्रुप के निर्देश पर काम करेगा. फायर फाइटिंग सिस्टम और इंजीनियरिंग सेवाएं भी समूह के अधिकारी संभालेंगे.
फिलहाल नहीं बढ़ेगा कोई शुल्क
एयरपोर्ट पर फिलहाल किसी सुविधा का शुल्क नहीं बढ़ेगा. वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट की तर्ज पर यहां भी सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी है. इसमें यात्रियों के बैठने से लेकर एसी लाउंज को बेहतर बनाया जाएगा. पिक एंड ड्रॉप को निशुल्क किया जा सकता है.
करोड़ों की योजनाओं को मिलेगी गति
एयरपोर्ट निदेशक एके शर्मा ने बताया कि एयरपोर्ट के निजी हाथों में जाने से करोड़ों की योजनाओं को गति मिलेगी. इसमें 1400 करोड़ से नए टर्मिनल टी3 का निर्माण होना है. वहीं, आठ एप्रन बन रहे हैं. फायर फाइटिंग सिस्टम अपग्रेड होना है. रनवे का विस्तार 2700 से 3500 मीटर करना है.
समानांतर टैक्सी वे बनाने की योजनाओं को समूह गति देगा. एयरपोर्ट की जमीनों पर ही आने वाले समय में मॉल, होटल बनेगा. टर्मिनल बिल्डिंग में भी यात्रियों की सुविधाएं बढ़ेंगी.
अमौसी एयरपोर्ट दो नवंबर को अडाणी समूह को हस्तांतरित किया जाएगा. इसकी प्रक्रिया चल रही है.