नीता शेखर,
“बूंद बूंद से घड़ा भरता है”. यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है कि थोड़ा थोड़ा जमा करके अधिक संचय करना. वैसे ही हमारे रिश्ते हैं, उसे भी बूंद बूंद से भरना पड़ता है. रिश्ते भी बहुत नाजुक होते हैं. उसे बनाने में काफी वक्त लगता है पर तोड़ने में नहीं.
पूजा और पायल दोनों सगी बहनें थी. दोनों बहनों को एक दूसरे से काफी लगाव था. संजोग ऐसा हुआ कि दोनों की शादी इंजीनियर लड़के से हुई जो कि एक ही ऑफिस में काम करते थे. दोनों की पोस्टिंग भी एक ही शहर में हुई. दोनों साडु में अच्छी पटती थी. दोनों ने एक मकान में ऊपर नीचे घर ले लिया. कभी दिन का खाना नीचे तो कभी रात का खाना ऊपर होने लगा.
इसी बीच उन लोगों ने फ्लैट भी खरीद लिया. वह भी एक ही अपार्टमेंट में वहां भी उन्होंने वैसे ही ऊपर नीचे फ्लैट ले लिया. अब तो उनका रिश्ता और भी गहरा हो गया था. दोनों बहने कहीं भी जाती तो साथ ही जाती. फ्लैट में काफी लोग रहते थे पर उन लोगों को किसी से मतलब नहीं था. अचानक एक दिन खबर मिली पायल का परिवार कहीं और शिफ्ट कर रहा था. उन्होंने यहां से जाने का मन भी बना लिया था.
ऐसा क्या हो गया कि इस तरह उनको निर्णय लेना पड़ा. पायल के पति ने फ्लैट भी बेचने का निर्णय ले लिया था. देखते-देखते वो लोग शिफ्ट भी कर गए. पता चला दोनों परिवारों में बातचीत बंद हो गई है. बच्चों का आपस में झगड़ा हो गया था. बात पहुंचते पहुंचते बड़ों तक पहुंच गई और वह भी आपस में उलझ पड़े. पायल के पति ने अपनी पत्नी को बात करने से मना कर दिया था. जो बहनें कभी एक दूसरे के बगैर कहीं जाती नहीं थी. आज आपस में बातचीत किए महीनों बीत गए थे.
पूजा को खराब लगता था.
अपनी सगी बहन से रिश्ता खराब हो गया था. उसने कोशिश भी की पर छोटी बहन ने बिल्कुल बात करना बंद कर दिया था. पूजा दिन भर सोचती ऐसा क्या हुआ कि उसका रिश्ता इतना खराब हो गया.
पूजा और पायल के पिता को भी चिंता सता रही थी. वह हर दिन अपनी बड़ी बेटी को समझाते. तुम पायल को माफ कर देना. पूजा इतनी सीधी थी. वह हर बात मान लेती पर पायल बिल्कुल उसके विपरीत. पूजा ने पायल को समझाने की कोशिश की पर उसने उन्हें वापस भेज दिया. उन्हीं का अपमान कर दिया. अब उनका आपस में मिलना जुलना बिल्कुल बंद हो गया था. आज उनके रिश्ते में दरार पड़ गई थी. पूजा ने बूंद बूंद करके बनाया था वह रिश्ता टूट चुका था.
पूजा मेरी भी दोस्त थी. वह अक्सर आकर अफसोस करती और कहती कि क्या रिश्ते इतने नाजुक होते हैं कि पल भर में टूट जाते हैं. रिश्तों को जोड़ने में सारी उम्र लग जाती है. वह पल टूट गया था हालात यह हो गई कि दोनों ने अपने बच्चों की शादी में एक दूसरे को नहीं बुलाया. अब हमेशा हमेशा के लिए उनके रिश्ते बिखर गए थे जिसे जोड़ना नामुमकिन था. कहते हैं कि अगर एक बार भी रिश्ते में दरार पड़ जाए तो उसे आप कितना भी जोड़िये एक गांठ उसमें लग ही जाती है. रिश्ता चाहे कोई भी हो किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए समझ और संयम की जरूरत होती है.
कबीर दास ने बहुत ही अच्छी बात बताई है “झीनी झीनी रे चदरिया”, राम नाम रस भीनी चदरिया,”झीनी झीनी रे चदरिया”!
किसी भी रिश्ते को चादर की तरह बनाने में काफी वक्त लग जाता है, उसको फाड़ने में तुरंत फट जाता है. मुश्किल होता है रिश्ता निभाना. बहुत आसान होता है रिश्ता तोड़ना. पल भर में टूट जाता है. इसलिए रिश्ते की कद्र करनी चाहिए तभी हम रिश्ते को निभा पाएंगे.