रवि सिहं ब्यूरो चीफ
गोरखपुर:- भारत-नेपाल बार्डर पर सुरक्षा को लेकर खुफिया एजेंसियां और पुलिस विभाग पूरी तरह से एलर्ट है बार्डर पर संदिग्ध गतिविधियों के साथ 300 से अधिक मदरसों के अस्तित्व और उनके क्रियाकलापों पर भी खुफिया ऐजेंसियों की नजर है बार्डर के पास अचानक अस्तित्व में आए इन मदरसों और मस्जिदों की जरूरत और उनके आय के स्रोत का आधार पता नहीं होने से खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं ऐसे में अब इनकी हर तरह से जांच की जा रही है
गोरखपुर के एडीजी जोन दावा शेरपा ने बताया कि भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय बार्डर अति संवेदनशील है उन्होंने बताया कि खुली सीमा होने की वजह से ये और अधिक संवेदनशील है जहां तक बार्डर किनारे बने मदरसों का सवाल है, कई ऐसे भवन या भवन और शैक्षणिक संस्थान के रूप में बनाए गए हैं प्रथम दृष्टया देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वहां के जो लोगों की आर्थिक स्थिति आय का स्रोत है उससे काफी अधिक और बड़े दिखाई देते हैं
दावा शेरपा ने बताया कि हम गोपनीय रूप और अन्य माध्यम से ये पता करने में जुटे हैं कि ये किसी आपराधिक और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त तो नहीं है इसके साथ ये भी देखा जा रहा है कि ये किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं है इस प्रकार से संवेदनशील बार्डर के इलाके में इस माध्यम से किसी प्रकार की अवैधानिक और देश विरोधी गतिविधियों को तो बढ़ावा नहीं मिल रहा है इसकी भी सतत जांच और परीक्षण करा रहे हैं
वे बताते हैं कि 300 से अधिक मदरसे खोले गए हैं हैरत की बात ये है कि इतने अधिक स्टूडेंट भी नहीं हैं तो सवाल है कि आखिर इसकी क्या जरूरत है ये क्यों खोला जा रहा है इसका अभिप्राय क्या है ये जानना बेहद जरूरी है क्योंकि कई सरकारी विभाग शिक्षा विभाग के अधीन या उनके पर्यवेक्षण में होता है उनकी पूरी जांच रहती है क्योंकि ये धार्मिक संगठन के द्वारा चलाए जाने वाले मदरसे या मस्जिद के रूप में हैं इसमें आसानी से बाकी लोगों का प्रवेश उपलब्ध नहीं है ये देखना और समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है सुरक्षा की दृष्टि और अंतरराष्ट्रीय बार्डर में जो गतिविधियां उसे नियंत्रित करने के लिए देखना जरूरी है.