रांची: झारखंड सरकार कोरोना से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार होने की दावा करती है. लेकिन रिम्स जैसे बड़े संस्थान में मरीजों के लिए एंबुलेंस तक कि सुविधा नहीं है. लोग भगवान भरोसे है.
मंजुसा कुजूर के मामले को देखने से ऐसा ही लगता है. भाजपा नेता अजय राय ने कल ही मरीज को सदर अस्पताल में दाखिल कराया था. जहां डॉक्टरों के आभाव में वहां की नर्सों ने पीड़िता को अगले 19 अप्रैल की तिथि डिलेवरी का बताते हुए वापस घर भेज दिया.
मगर रात में फिर प्रसव पीड़ा होने पर उसे रिम्स में एडमिट कराया गया. जहां आज सुबह 4 बजे उसकी नॉर्मल डिलेवरी हुई और मंजुसा ने एक बच्ची को जन्म दिया.
रिम्स के डॉक्टरों ने दोपहर 2:00 बजे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. कोरोना के वजह से लॉकडाउन में मंजुसा के पति बेनुस कुजूर ने रिम्स के कई डॉक्टर और मौजूद स्टाफ से विनती की.
उन सबों को बर्दवान कंपाउंड विराज नगर पहुंचवाने की मगर उनकी किसी ने भी नहीं सुनी. आखिर में बेनुस कुजूर ने पुनः भाजपा नेता अजय राय को फोन किया और अपनी आपबीती बताई.
अजय राय तत्काल रिम्स पहुंचकर उन सबो को अपनी गाड़ी में बैठाकर बर्दवान कंपाउंड स्थित उनके घर विराज नगर पहुंचाया.
पीड़ित परिवार ने अजय राय को रोते हुए उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर आप नहीं होते तो पता नहीं अपनी बच्ची को भी देख पाते भी कि नहीं.
अजय राय ने कहा कि झारखंड सरकार लाख दावा करे कि वो कोरोना से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है मगर जो एक प्रसूता को सुविधा नहीं दिला पाता उसपर आम जनता कैसे विश्वास करे.
उल्लेखनीय है कि कल सुबह से ही मंजुसा को प्रसव पीड़ा हो रही थी, उन लोगों ने 108 पर फोन कर एंबुलेंस बुलाने का आग्रह किया. मगर उधर से जवाब मिला कि अभी कोई एंबुलेंस खाली नहीं है.
इसी बीच बर्दवान कंपाउंड के ही शत्रुघन कुमार ने यह खबर भाजपा के प्रदेश मीडिया पैनललिस्ट व वरिष्ठ भाजपा नेता अजय राय को दी.
उन्होंने तत्काल लालपुर थाना प्रभारी अरविंद कुमार से बात की और उनसे आग्रह करते हुए कहा कि कोई गाड़ी एंबुलेंस आने के लिए तैयार नहीं है.
वह उन्हें अनुमति दें कि वह अपनी निजी गाड़ी से प्रसूता को सदर हॉस्पिटल पहुंचा सके. मोबाइल के जरिए बातचीत के आधार पर अजय राय ने तत्काल प्रसूता मंजूषा कुजूर के घर पहुंचकर के उन्हें अपनी गाड़ी में लेकर सदर अस्पताल पहुंचाया और उन्हें प्रसूता वार्ड में भर्ती कराया.
अजय राय ने बताया प्रसूता अत्यंत पीड़ा से करा रही थी. उन्हें तत्काल हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया जाता तो कुछ भी हो सकता था. मगर डॉक्टर के अभाव के कारण वहां के नर्सों ने डिलीवरी डेट 19 अप्रैल बता दिया और उन्हें वापस घर भेजा दिया.