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जमीन माफियाओं का साम्राज्य जमशेदपुर से बाहर कपाली व हाईवे तक
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आयोग गठन कर राज्य सरकार करें जमीन कारोबार की समीक्षा : वाहिनी
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सुवर्णरेखा परियोजना के पुनर्वास स्थल पर भी चलती हैं जमीन माफियाओं की धाक
जमशेदपुर: जमशेदपुर के भाजपा नेता सह अधिवक्ता प्रकाश यादव की हत्या के पीछे जमीन कारोबारियों का हाथ बताया जाता है. जिसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच गहमा गहमी चल रही हैं. पर क्या आप जानते हैं कि जमीन माफियाओं का साम्राज्य अब केवल जमशेदपुर तक ही सीमित नहीं है? शहर से बाहर कपाली नगर परिषद क्षेत्र, तमोलिया पंचायत तथा नेशनल हाईवे के आसनबनी पंचायत आदि इलाकों में जमीन खरीद बिक्री का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है. अब तक ऐसे कई मामले उजागर हुए हैं जिसमें सीएनटी, सरकारी, खतियानी, वन भूमि आदि की जमीन का कारोबार माफियाओं द्वारा फर्जी तरीके से किया गया है. सैकड़ों शिकायतें अंचल कार्यालय व अनुमंडल पदाधिकारी हो चुकी हैं. लेकिन, जमीन माफियाओं पर अंकुश लगाने में प्रशासन अब तक विफल हैं. हर दिन नेशनल हाईवे तथा दोमुहानी – कांडरबेड़ा रोड पर जमशेदपुर के नामचीन हस्तियों को जमीन का मुआयना करते दिखेंगे.
आदिवासियों की धर्मस्थलों पर भी माफियाओं की नजर : इस रविवार चांडिल के आसनबनी में पारंपरिक ग्राम सभा बैठक हुई. कुड़ुम लाया भूषण पहाड़िया की अध्यक्षता में हुई. सार्वजनिक पूजा स्थल, आदिवासियों की बंदोबस्ती व सरकारी जमीन को माफियाओं से सुरक्षित रखने को लेकर ही ग्रामसभा हुई. यहां बैठक में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई हैं कि माफियाओं द्वारा आसनबनी में आदिवासी समाज के सर्वसाधारण जांताल पूजा स्थल, आदिम जनजाति के रैयत जमीन, आदिम जनजाति के बंदोबस्ती जमीन तथा अनबाद झारखंड सरकार की जमीन को बलपूर्वक अतिक्रमण किया जा रहा है. इस पर ग्राम सभा ने विरोध जताया है. निर्णय हुआ कि उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग भी किया जाएगा. यदि जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान में नहीं लेती है तो आसनबनी के साथ साथ अन्य ग्रामसभा मिलकर माफियाओं के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी.
कपाली में जमीन विवाद को लेकर चली थी गोली : 2017 में धनंजय सिंह सरदार पर अपराधियों ने गोलियां चलाई थी. हालांकि वह घायल होकर अस्पताल में भर्ती थे. वहीं, पुलिस ने मामले का उद्भेदन कर दिया था. धनंजय सिंह सरदार की रैयती जमीन पर कब्जा करने की नीयत से माफियाओं ने प्रोफेशनल शूटर से गोली चलाकर डराने की योजना बनाई थी. पूरे घटनाक्रम में कई सफेदपोश के नाम भी सामने आए थे. 2013 में बिरिगोड़ा के दो तथाकथित नेताओं के बीच जमीन बेचने को लेकर झड़प हुई थी. हालांकि बाद में पुलिस हस्तक्षेप कर आपसी समझौता करवाने में सफल रहा.
माफियाओं के खिलाफ बोलने वालों पर खतरा: सुकलाल पहाड़िया
विलुप्त होती आदिम जनजाति समुदाय के सुकलाल पहाड़िया क्षेत्र में जमीन माफियाओं के खिलाफ लोहा लेने के लिए तैयार हैं. इस लड़ाई में उसे साथ देने के लिए क्षेत्र के तमाम ग्रामीण खड़े हैं. लेकिन, सुकलाल का कहना है कि जमीन माफियाओं के खिलाफ बोलने वालों पर खतरा मंडराता है. उन्होंने कहा कि 2017 से लेकर अबतक माफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इस दौरान माफियाओं ने साजिश रचकर उसे फंसाने के प्रयास किया है. दो बार जेल भी जा चुके हैं. फिर भी हार नहीं मानी और लड़ाई अब भी जारी है. सुकलाल ने बताया कि अब जमीन माफिया फर्जी कागजात बनाने लगे हैं और उन फर्जी कागजात से ही जमीन खरीद बिक्री करवा रहा है.
विस्थापित मुक्ति वाहिनी की मांग :
वाहिनी नेता कपूर बागी ने कहा है कि जमीन कारोबारियों के कारण अधिकांश विवाद हो रहा है. यहां तक की अब तो हत्याएं भी होने लगी हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को एक आयोग का गठन करने की जरुरत है. आयोग के माध्यम से जितने भी जमीन की खरीद बिक्री हुई हैं, उसकी समीक्षा की जानी चाहिए. वहीं, कठोर नीति व नियम बनाकर राज्य में जमीन सुरक्षित रखने की दिशा में भी काम होना चाहिए.
अतिक्रमण हटाने के लिए विमुवा ने सौंपा ज्ञापन :
विस्थापित मुक्ति वाहिनी के नेता श्यामल मार्डी के नेतृत्व में चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. तीन सूत्री मांगों के लेकर सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट है कि अब कपाली पुनर्वास स्थल पर माफियाओं का बोलबाला बढ़ने लगा है. ज्ञापन में तीनों ही मांग जमीन से जुड़ी समस्याओं के समाधान को लेकर ही है. जिसमें कपाली पुनर्वास स्थल का सीमांकन करने, विस्थापितों को आवंटित जमीन का मालिकाना हक देने व अवैध कब्जा हटाने की मांग है. जानकारी हो कि सुवर्णरेखा परियोजना के तहत 23 पुनर्वास स्थल आवंटित हैं, जिसमें विस्थापितों को बसाए जाने की तैयारी थी. लेकिन, कपाली बी व चिलगु पुनर्वास स्थल में व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण है.
इन जगहों पर माफियाओं ने धाक जमा रखी है. औने पौने दाम पर सरकारी जमीन को बेचा जा रहा है. इतना ही नहीं कथित धार्मिक संगठनों के नाम यह कारोबार किया जाता है. इन दिनों कपाली पुनर्वास स्थल बी के सरकारी तालाब पर अतिक्रमण करने का पुरजोर कोशिश हो रही हैं. यहां विस्थापित परिवारों के लिए कुल 157 प्लॉट सुरक्षित किया गया था लेकिन हालिया जानकारी के अनुसार केवल 38 प्लॉट पर विस्थापित बसे हैं. बाकी सभी प्लॉट पर गैर विस्थापित परिवारों का कब्जा है.