ब्यूरो चीफ,
रांची: झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) देश की एकमात्र ऐसी संस्था है, जहां के पदधारियों (पोस्ट होल्डर्स) का कार्यकाल चार वर्षों का होता है. जेएससीए के बाईलॉज में इसके लिए विशेष गर्वनिंग बॉडी की बैठक कर कई संसोधन किये गये. इसमें ही कार्यकाल बढ़ाने का भी प्रस्ताव शामिल है. यहां यह बतातें चलें कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, जो सभी राज्यों के क्रिकेट एसोसिएशन को संचालित करनेवाली सर्वोच्च संस्था है, का कार्यकाल भी तीन ही वर्षों का होता है.
जेएससीए में पदधारियों ने कुछ ऐसे संसोधन किये, जिसका लाभ कार्यकारिणी को मिला और वैसे सदस्यों को दरकिनार भी किया गया, जो सिर्फ मेंबर ही बन कर रह गये थे. स्पेशल गर्वनिंग बॉडी की बैठक में 2012-13 में यह नियम बनाया गया कि जो सदस्य लगातार पांच एजीएम (वार्षिक आम सभा) में नहीं हिस्सा लेंगे, उनकी सदस्यता रद्द हो जायेगा. इसकी वजह से एक ही झटके में 192 सदस्यों की सदस्यता पर ग्रहण लग गया. उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी. संशोधनों के बाद निबंधन महानिरीक्षक को समय पर रिपोर्ट भेजने पर हमेशा जेएससीए मैनेजिंग कमेटी गुरेज करती रही है. इस पर कई बार महानिरीक्षक सवाल भी खड़ा करते रहे हैं.
मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों का कहना है कि समय की कमी की वजह से दस्तावेज टाइमली नहीं भेजे जा रहे हैं. तर्क यह दिया जाता है कि आधिकारिक तौर पर सभी दस्तावेज जेएससीए के पास उपलब्ध हैं.
एचइसी के तत्कालीन चीफ ऑफ टाउनशिप (सीओटी) जेएन सिंह ने जेएससीए को दी गयी. 37 एकड़ जमीन में से 4.22 एकड़ कम जमीन दिखाने का मामला उठाया, पर कुछ ऐसी लीपापोती की गयी कि कम जमीन को दूसरी जगह दिखा कर जेएन सिंह को जेएससीए का आजीवन सदस्य बना दिया गया. उन्होंने कभी बैठकें भी अटैंड नहीं की, पर रोल ऑफ एटेंडेंस में वे उपस्थित रहे. इसके बाद उनका आइकार्ड मांग लिया गया, जिसे वापस ही नहीं किया गया. इसके बाद सदस्यता सूची से उनका नाम भी गायब हो गया.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी जेएससीए के होनोररी मेंबर हैं. नियमों के हिसाब से इन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया था. 2019 के चुनाव के बाद इनके वोटिंग राइट्स का मामला सामने आया. दो दिन बाद उन्हें आजीवन सदस्यता दे दी गयी. नयी कार्यकारिणी के सदस्यों ने धौनी से मुलाकात कर उन्हें आजीवन सदस्य बनाने का ऑफर दिया. जेएससीए की मैनेजिंग कमेटी ने इस पर अपनी मूहर भी लगा कर सदस्यता को रैटिफाई कर दिया.
एचइसी बराबर मांग रहा मैच फीस और व्यावसायिक गतिविधियों पर रॉयल्टी
जेएससीए प्रबंधन और एचइसी के बीच हमेशा से स्टेडियम में होनेवाले मैच और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों पर रॉयल्टी को लेकर विवाद होता रहा है. अब भी इस पर जिच बनी हुई है. जेएससीए प्रबंधन कहता है कि मैच फीस की रॉयल्टी हम एचइसी को क्यों दें. उधर एचइसी प्रबंधन यह कह रहा है कि हमारी जमीन पर स्टेडियम बना है. इसलिए रॉयल्टी हमें मिलनी ही चाहिए.