महाराष्ट्र: मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिये महाराष्ट्र राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. महराष्ट्र के हर स्कूल में 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा अनिवार्य कर दिया गया है. अब राज्य के हर स्कूल में मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य होगा. जो स्कूल इसे लागू नहीं करेंगे, उन्हें दंड के रूप में एक लाख रुपए का भुगतान करना पड़ेगा.
दरअसल, महाराष्ट्र की विधानपरिषद ने इससे जुड़े विधेयक को आज मंजूरी दे दी है. इसके बाद विधेयक विधानसभा में जाना है. दोनों सदनों से पारित हो जाने के बाद ये क़ानून बन जाएगा. राज्य में पहले से ही आठवीं कक्षा तक मराठी भाषा अनिवार्य है.
राज्य के मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानपरिषद में ‘महाराष्ट्र स्कूलों में मराठी भाषा का अनिवार्य अध्यापन और अध्ययन विधेयक 2020’ पेश किया. इस विधेयक को आम सहमति से पारित किया गया. विधेयक में शैक्षिक वर्ष 2020-21 से चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों में कक्षा पहली से दसवीं तक मराठी पढ़ाए जाने का प्रावधान किया गया है.
अगले शैक्षिक वर्ष से पहली से छठी कक्षा के लिए मराठी भाषा अनिवार्य किया जाएगा. इसके बाद हर साल एक-एक कक्षा बढ़ाई जाएगी. इस तरह साल 2024-25 में कक्षा पांचवीं और दसवीं के लिए मराठी अनिवार्य की जाएगी.
बता दें कि नए निर्देश इसी शैक्षणिक सत्र 2020-21 में लागू किए जाएंगे. सरकार के मुताबिक़, सभी स्कूल मंडलों के प्रमुख ने इस योजना पर अपनी सहमति जताई है. महाराष्ट्र के मराठी भाषा विभाग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि 23 फरवरी को इसे लेकर राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई थी.
बता दें कि सरकारी स्कूलों के साथ ही, राज्य स्थित अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में भी इसे सख़्ती से लागू किया जाएगा. सीबीएससी बोर्ड और आईसीएससी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में भी 10वीं तक के छात्रों को मराठी पढ़ाना अनिवार्य होगा.
विधेयक में कहा गया है कि अंग्रेजी, हिंदी या किसी भी माध्यम का स्कूल क्यों न हो, हर जगह मराठी अनिवार्य की जाएगी. इस क़ानून को भंग करने पर स्कूल के प्रबंध निदेशक या ज़िम्मेदार व्यक्ति को एक लाख रुपए का दंड देना होगा. साथ ही, किसी भी स्कूल में मराठी बोलने पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पाबंदी लगाई नहीं जा सकती है.