विपिन दुबे,
परिवार में खुशी हो या गम सदस्यों की संख्या सीमित होगी. यह दिन भी कभी आएगा सोचा ना था. जी हां -लेकिन वह सब अब सामने है. ऐसी ही सच्चाई से हम आपको रूबरू करा रहे हैं.
इसी महीने सागर शहर के केशवगंज वार्ड निवासी शिक्षक और बुंदेली गीतों के जाने-माने कलाकार जयंत विश्वकर्मा की इकलौती बेटी की शादी थी. यह शादी पहले 20 अप्रैल को होना थी. कार्ड छप गए.
आतिशबाजी आ गई और गार्डन भी बुक होने के अलावा अन्य तैयारियां पूरी हो गई लेकिन उस समय लॉकडाउन के कारण तारीख आगे खिसक गई. अब विदिशा जिले में होने वाली शादी के लिए सागर से जाने बमुश्किल 14 लोगों की परमिशन मिली.
9 तारीख को सिर्फ 5 महिलाओं ने बिना बैंड बाजों के पास के कुएं से मैहर का पानी भरा. हल्दी-कुमकुम. मंडप सहित अन्य रस्म गिनी-चुनी महिलाओं के बीच हो गई. मोहल्ले में शादी है. आसपास के लोगों को पता ही नहीं.
कारण कोरोना के कारण लॉकडाउन. इकलौती बेटी की धूमधाम से शादी करने का इस शिक्षक का सपना सीने में ही दफन हो गया लेकिन उन्हें मलाल कम है. उनका कहना है जिस संकट के दौर में देश गुजर रहा है ऐसे में हम अपनी खुशी को भी तिलांजलि देने में पीछे नहीं.
जयंत का संदेश है आने वाली वाले समय में ऐसी ही शादियां होने लगे तो वर-वधु का पैसा भी कम खर्च होगा और अन्य समस्याओं से भी निजात मिल सकती है. उन्होंने कहा लॉकडाउन सैकड़ों लोगों को यह सीख जरूर दे रहा है.