अरविन्द पटेल,
महाराजगंज: मुसीबत की मारी सोनौली की एक बेबस महिला बुरी तरह फंसी हुई है. नेपाल के भैरहवां में एक साल पहले ब्याही गई इस महिला को प्रसव पीड़ा के बाद सोनौली के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. ऑपरेशन से उसे बच्ची हुई. अस्पताल ने बिल थमाया तो उसका पति यह कहकर अपने घर नेपाल चला गया कि पेमेंट उसकी सास करेगी.
सच्चाई यह है कि महिला की मां की झोली भी खाली है. हॉस्पिटल की ओर से सात हजार रुपये बिल माफ करने के बाद भी बाकी बिल का भुगतान नहीं हो पा रहा है. प्रसूता नवजात के साथ हॉस्पिटल में ही पड़ी है. युवती की मां के अनुसार जब वह अपनी बेटी को देखने गई तो पता चला कि उसका दामाद अपने घर जा चुका है. अस्पताल वालों ने उसे 17 हजार का बिल थमा दिया जबकि वह दूसरों के घरों में काम कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करती है. पति नहीं है और प्राइवेट दुकान में काम करने वाले एक लड़के की कमाई तीन महीने से बंद है.
यह मामला जब नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुधीर त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने हॉस्पिटल के डॉक्टर से बात कर 17 हजार में से सात हजार रुपये का बिल माफ करा दिया. लेकिन महिला की मां का कहना है कि वह दस हजार भी नहीं ला सकती. महिला का पति कह रहा है कि उसके पास पैसा नहीं है.
सुधीर त्रिपाठी अध्यक्ष प्रतिनिधि सौनौली का कहना है कि हॉस्पिटल से सात हजार रुपये माफ करवा दिया गया है. बच्ची की नानी ने बाकी पैसों का इंतजाम करने को कहा है. अगर वह इंतजाम नहीं कर पाएगी तो बाकी दस हजार रुपये की भी व्यवस्था कराई जाएगी. वहीं उक्त हास्पिटल के डॉक्टर नजीर ने बताया कि महिला के हालात देख सात हजार रुपये माफ कर दिए गए हैं. छह दिन से नवजात बच्ची के परिजन एक-दो दिन में बाकी पैसा जमा करने की बात कह रहे हैं. अस्पताल की ओर से परिजनों पर कोई दबाव नहीं दिया जा रहा है.