नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि मॉरीशस के विदेशी निवेशक एफपीआई पंजीकरण के पात्र बने रहेंगे. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उनकी निगरानी बढ़ाई जाएगी.
वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने कर पनाहगाह मॉरीशस को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था. इसके बाद यह घोषणा की गई है. एफएटीएफ एक अंतर सरकारी नीति बनाने वाला निकाय है, जो धन शोधन रोधक मानक तय करता है.
भारत में निवेश करने वाले एफपीआई में एक बड़ी संख्या मॉरीशस में पंजीकृत है. अमेरिका के बाद मॉरीशस देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है. एनएसडीएल के जनवरी के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के एफपीआई के संरक्षण के तहत 11,62,579 करोड़ रुपये की संपत्तियां हैं.
वहीं मॉरीशस के एफपीआई के संरक्षण में 4,36,745 करोड़ रुपये की संपत्तियां हैं. एफएटीएफ के नोटिस के बाद कुछ कोष प्रबंधकों ने नियामक का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने मॉरीशस के जरिए एफपीआई पंजीकरण की वैधता को लेकर चिंता जताई थी.