पंजाब(चंडीगढ़): हर बीमारी की सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं अब चंडीगढ़ और दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर मिलेंगी. इसकी तैयारी इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (आईआरएसडीसी) ने शुरू कर दी गई. चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के मुसाफिरखाना स्थित एस्केलेटर के पास दवा स्टाल बनाया जा रहा है. इसका लाभ फरवरी से मिलेगा.
इसका टेंडर आईआरएसडीसी की ओर से ‘दवा दोस्त’ कंपनी को अलॉट किया गया है. कंपनी ने दिल्ली आनंद विहार और चंडीगढ़ में स्टाल लगाने का काम शुरू कर दिया है. कंपनी के अधिकारियों की मानें तो ब्रांडेड कंपनियों की सस्ती जेनेरिक मेडिसिन दोनों रेलवे स्टेशनों पर मिलेंगी.
अभी रेलवे स्टेशन के आसपास दवा की दुकान नहीं
मौजूदा समय में अगर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर किसी यात्री की तबीयत खराब हो जाए तो दवा खरीदने के लिए रेलवे स्टेशन के बाहर चंडीगढ़ और पंचकूला साइड एक भी दवा की दुकान नहीं है. यात्रियों को दवा लेने के लिए अगर चंडीगढ़ साइड जाना है, तो आधा किमी दड़वा की तरफ या फिर रेलवे स्टेशन के पंचकूला साइड करीब तीन से चार किमी मीटर दूर जाना पड़ता है. इसी को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यह कदम उठाया है.
क्यों सस्ती होती हैं जेनेरिक दवाएं
एक ओर जहां ब्रांडेड दवाओं की कीमतें कंपनियां खुद तय करती हैं वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत को निर्धारित करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप होता है. जेनेरिक दवाओं की मनमानी कीमत निर्धारित नहीं की जा सकती. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक डॉक्टर अगर मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिख दें तो विकसित देशों में स्वास्थ्य खर्च 70 फीसदी और विकासशील देशों में और भी अधिक कम हो सकता है.
बेंगलुरु और सिकंदराबाद में भी मेडिकल शॉप खोलने की तैयारी
दोस्त कंपनी के संस्थापक यश हरलालका ने फोन पर बताया कि चंडीगढ़ और आनंद विहार के बाद देश के दूसरे रेलवे स्टेशनों पर भी मेडिकल स्टोर खोलने की तैयारी है. यहां के बाद अगर टेंडर अलॉट हुआ तो बेंगलुरु और सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर मेडिकल स्टोर खोला जाएगा.
फरवरी से चंडीगढ़ और दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को दवा की सुविधा मिलेगी. यहां सिप्ला और टेल्कम जैसी ब्रांडेड कंपनियों की जेनेरिक दवाएं यात्रियों को मिलेंगी. अगर कोई बीपी और शुगर का मरीज महीने भर में दो हजार रुपये की दवा खरीदता है और अगर वही दवा रेलवे स्टेशन से खरीदी जाएगी तो उस जेनेरिक दवा की कीमती महज पांच से सात सौ रुपये के बीच होगी.
मेडिकल स्टोरों पर क्यों नहीं देते जेनेरिक दवाएं
किसी एक बीमारी के इलाज के लिए तमाम तरह की रिसर्च और स्टडी के बाद एक रसायन (साल्ट) तैयार किया जाता है जिसे आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए दवा की शक्ल दे दी जाती है. इस साल्ट को हर कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है. कोई इसे महंगे दामों में बेचती है तो कोई सस्ते. इस साल्ट का जेनेरिक नाम साल्ट के कंपोजिशन और बीमारी को ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है.
किसी भी साल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है. यदि डॉक्टर जेनेरिक दवा लिख भी देते हैं तो मेडिकल स्टोर्स वाले किसी भी कंपनी की दवा यह कह कर मरीज को दे देते हैं कि उनके पास लिखी हुई मेडिसिन नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेडिकल स्टोर्स को जिस दवा कंपनी से अधिक लाभ मिलता है वे वही कंपनी की दवा मरीज को बेचते हैं.
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