रांची: बीएमएस, इंटक, एक्टू, एटक और सीटू के राज्य स्तरीय नेताओं ने प्रोजेक्ट बिल्डिंग मे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर उन्हें दो स्मार-पत्र सौंपा. जिसमें पहला स्मार-पत्र विगत चार साल से लंबित झारखंड के 980 यूनियन जो एकीकृत बिहार मे निबंधित हुए थे की मान्यता बिहार के निबंधक श्रमिक संघ द्वारा रद्द किए जाने से संबंधित था.
पिछली सरकार के समय से ही यह मामला अधर मे लटका हुआ है जबकि मार्च 2019 में तत्कालीन श्रम मंत्री के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में जिसमें सभी ट्रेड यूनियनों समेत श्रम विभाग के उच्चाधिकारी भी शामिल थे, यह तय हुआ था कि जिन यूनियनों का वार्षिक विवरणी जमा है उनकी मान्यता को बरकरार रखते हुए पुराने निबंधन संख्या के साथ – साथ झारखंड का भी एक निबंधन संख्या प्रदान किया जायेगा.
लेकिन यह सर्वसम्मत फैसला अभी तक लागू नहीं हो सका और यूनियनों की मान्यता का मामला अभी तक लंबित पड़ा हुआ है.
दूसरे स्मार पत्र में राज्य के विभिन्न सेक्टरों के कामगारों जिसमें निर्माण, परिवहन, बीड़ी और पत्थर मजदूरों के अलावा अन्य असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान और बाद में भी जीविका के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उसी प्रकार राज्य के सेल्स प्रमोशन इंप्लाइज भी बड़े पैमाने पर प्रबंधन की प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं. महिला सेल्स प्रमोशन इंप्लाइज को मातृत्व अवकाश मांगे जाने पर बड़ी दवा कंपनियों द्वारा काम से हटाए जाने की घटना कामकाजी महिलाओं के मानवाधिकार का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है.
ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने परिवहन कामगारों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन करने, राज्य के सभी श्रमिकों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दायरे में लाने, निर्माण कामगारों के वेलफेयर बोर्ड में सभी श्रमिक संगठनों को प्रतिनिधित्व देने, न्यूनतम मजदूरी का पुनरीक्षण कर उसे सख्ती से लागू करने और नये यूनियनों के निबंधन की प्रक्रिया को 45 दिनों मे पूरा करने एवं श्रमिकों की अन्य ज्वलंत समस्याओं को उठाया गया था.
ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने इन मुद्दों से संबंधित 10 सूत्री मांगों पर जिसका उल्लेख स्मार-पत्र मे किया गया है मुख्यमंत्री से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया गया. ट्रेड यूनियनों ने श्रम विभाग की दक्षता को और बढ़ाने के लिए विभाग में रिक्तियों को जल्द भरे जाने का भी सुझाव दिया. क्योंकि यहां सबसे ज्यादा कार्यबल की कमी है जिसका खामियाजा मजदूरों को भूगतना पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने ट्रेड यूनियनों द्वारा उन्हें दिए गए स्मार-पत्र के कई मुद्दों पर चर्चा करते हुए आश्वासन दिया कि वे शीघ्र ही इस पर कार्रवाई करेंगे. यूनियनों की मान्यता बहाल करने के लिए उन्होंने बैठक मे मौजूद अपने प्रधान सचिव को इस मुद्दे का जल्द निराकरण करने के लिए कहा.
ट्रेड यूनियनों के शिष्टमंडल में बीएमएस के महासचिव विंदेशवर प्रसाद, सचिव रंजय कुमार, इंटक के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, एक्टू के महासचिव शुभेंदु सेन एटक के महासचिव पी. के. गांगुली और सीटू महासचिव प्रकाश विप्लव शामिल थे.