दिल्ली: कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान सरकार अब सभी प्रवासियों को उनके घर भेजने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब भी भारी संख्या में कई राज्यों के प्रवासी मजदूर अपने घर लौटने के लिए पैदल यात्रा करने को मजबूर हैं.
इसी बीच महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि हजारों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों को लौटने को लेकर बेचैन हैं और सरकार ने भी लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन के बावजूद मानवीय आधार पर उन्हें ना रोकने का निर्णय किया है.
देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार की मांग पर रेल सेवाएं पहले शुरू कर दी गईं होती तो मजदूरों को परेशानी थोड़ी कम हुई होती.
देशमुख ने कहा कि यह सच है कि प्रवासी मजदूर जो सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित अपने घरों के लिए पैदल निकल गए हैं वे लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं लेकिन हम उन्हें मानवीय आधार पर जाने दे रहे हैं.
पिछले महीने सैकड़ों प्रवासी मजदूर बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठे हो गए थे और उनके वापस जाने के लिए व्यवस्था किए जाने की मांग कर रहे थे, तब पुलिस ने लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर किया था. देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले सख्ती दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन लॉकडाउन बढ़ाए जाने से मजदूरों का सब्र अब जवाब दे चुका है.
मंत्री ने कहा कि वे घर जाने को इतने बेचैन हैं कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई झेलने को भी तैयार हैं. इसलिए हमने सख्ती ना करने का फैसला किया है. केवल मेरा मंत्रालय नहीं बल्कि पूरी सरकार उनकी मदद करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर रेल सेवाएं पहले शुरू हो जाती, जैसा कि उद्धव ठाकरे सरकार मांग कर रही थी तो मजदूरों को कम परेशानी होती. देशमुख ने कहा कि सरकार और मजदूरों के बीच संवाद की कमी थी जिसे पहले ही दूर किया जा सकता था.
उन्होंने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि लॉकडाउन इतने लंबे समय तक चलेगा. हमने मजदूरों से बात करने की कोशिश भी की. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कई बार अपील की लेकिन प्रवासी मजदूरों ने अपने घर लौटने का फैसला कर लिया है.
देशमुख ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों को समझाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि राज्य में कुछ उद्योग शुरू हो गए हैं और आगे भी कुछ ढील दी जाएगी, वे यहां से ना जाएं. मंत्री ने कहा कि अस्थायी आश्रय गृहों के दौरे के दौरान मजदूरों ने मुझसे कहा था कि वे दिवाली के बाद वापस आ सकते हैं लेकिन अभी वे घर जाना चाहते हैं.