हजारीबाग: मछली पालन से सपने बुने जा रहे हैं. हजारों लगाकर लाखों की कमाई की योजना है. वो भी बिल्कुल पेशेवर अंदाज में.
हजारीबाग के डारी प्रखंड का रबोध पंचायत आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा चुका है. वो भी बिना किसी सरकारी सहयोग के. सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से हो इसके लिए बेहद सख्त नियम भी बनाए गए हैं.
7 लाख खर्च, 60 लाख की कमाई की उम्मीद
रबोध पंचायत में 147 सदस्यीय भूकभूका विकास समिति का गठन किया गया है जिसमें इस पंचायत के सभी 8 गावों रबोध, कुसुमडीह, तिलैया, महुआटार, दरहवा, मोरसरिया, फेसरा करी और बयान के लोग शामिल हैं. प्रत्येक सदस्य ने सदस्यता शुल्क के तौर पर तीन किस्तों में 6 हजार रुपए का भुगतान किया. इस रकम से मछली के बीज को डैम में मछली पालन के लिए डाला गया है.
कमेटी के अध्यक्ष सर्वेश सिंह ने बताया कि इस पर लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आया है. इससे 4000 किलो मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. उम्मीद है कि 8 महीने बाद यहां से लगभग 60 लाख रुपए की कमाई होगी. जिसमें सभी ग्रामीण बराबर के हिस्सेदार होंगे.
मछली चोरी पर 5100 रुपए का जुर्माना
हजारीबाग के रबोध पंचायत में मछली चोरी करते हुए पकड़े जाते हैं तो आपको 5100 रुपए जुर्माना देना होगा. मछली चोरी की सूचना देने वाले व्यक्ति को बतौर इनाम 5100 रुपए मिलेंगे. इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. यहां डारी प्रखंड के रबोध पंचायत स्थित भूकभूका डैम में मछली पालन किया जा रहा है. डैम पर तीन शिफ्ट में 5 गार्ड को भी तैनात किया गया है. सुरक्षा के बीच मछली पालन का किया जा रहा है.
ऐसे साकार हुआ आत्मनिर्भरता का सपना
कमेटी के अध्यक्ष और स्थानीय जिला पार्षद सर्वेश सिंह ने कहा कि उनकी पारिवरिक पृष्ठभूमि राजनैतिक नहीं रही है. ऐसे में जब वे इस क्षेत्र से बतौर जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए थे तो उनके सामने संभावनाओं के द्वार कम और चुनौतियां ज्यादा थी. इसकी सबसे बड़ी वजह कोयलांचल क्षेत्र का होना था. क्षेत्र के आधे हिस्से में सीसीएल के द्वारा कोयला उत्खनन का कार्य किया जाता था और बाकी के हिस्से में समुचित सिंचाई के अभाव में कृषि कार्य चुनौती पूर्ण है.
तभी उनके मन मे ख्याल आया कि क्यों नहीं रबोध पंचायत में 10 एकड़ में फैले भूकभूका डैम को मछली पालन के लिए विकसित किया जाय. फिर एक संकल्प के साथ 1962 में बने इस डैम के जीर्णोद्धार में लग गए काफी मशक्कत के बाद 2019 में सरकारी योजना के जरिए इसका गहरीकरण और जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया, जिसे जून 2020 में पूरा कर लिया गया. अब दूसरी चुनौती पूरे गांव के लोगों को संगठित रूप से मछली पालन से जोड़ना था. उसके बाद उन्होंने स्थानीय मुखिया और गांव के गण्यमान्य लोगों के साथ बैठक की. उन्हें संयुक्त रूप से मछली पालन के लिए प्रेरित किया, फिर एक कमेटी बनाई गई. आज इस कमेटी के माध्यम से रबोध पंचायत के 8 गावों के 147 परिवार संयुक्त रूप से मछली पालन कर रहे हैं.