5.7 करोड़ लोगों को इलाज की तत्काल आवश्यकता
नई दिल्ली: ड्रग के इस्तेमाल का मामला कितना गंभीर है इसका पता बॉलीवुड फिल्म एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती को ड्रग के मामले से ही साबित हो जाता है की इस मामले में एनसीबी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के लगभग 16 करोड़ लोग शराब के नशे के गंभीर शिकार हैं. इनमें 5.7 करोड़ लोगों को इलाज की तत्काल आवश्यकता है. वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2020 के मुताबिक गंभीर नशे के कारण दुनिया के लगभग 3.56 करोड़ लोग अनेक विकारों से जूझ रहे हैं. कोरोना काल में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
5.7 करोड़ लोग गंभीर नशे के शिकार
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की रिपोर्ट ‘मैग्नीट्यूड ऑफ सब्सटेंस यूज इन इंडिया 2019’ के मुताबिक देश में सभी प्रकार के नशीले पदार्थो के बीच शराब सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक 10 वर्ष से 75 वर्ष की आयु के बीच के लगभग 14.6 फीसदी या 16 करोड़ भारतीय शराब की लत के शिकार हैं. इसमें 5.7 करोड़ लोग गंभीर नशे के शिकार हैं. लगभग 27.3 फीसदी पुरुष और 1.6 फीसदी महिलाएं शराब के नशे की शिकार हैं. इसका अर्थ यह है कि हर शराब पीने वाली एक महिला की तुलना में 17 पुरुष शराब पी रहे हैं. शराब की कुल खपत में लगभग 30 फीसदी हिस्सा घरेलू स्तर पर बनाई जाने वाली देसी शराब का होता है. शराब के नशे के शिकार लोगों के आधार पर बात करें तो इससे छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरूणाचल और गोवा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
शराब में क्या
शराब की कुल खपत में 12 फीसदी स्ट्रांग बीयर का इस्तेमाल किया जाता है जबकि नौ फीसदी लाइट बीयर का इस्तेमाल होता है. घर पर बनी शराब का इस्तेमाल 11 फीसदी किया जाता है तो देसी शराब 30 फीसदी तक पी जाती है. वाइन का इस्तेमाल चार फीसदी तो 30 फीसदी स्पिरिट्स (आईएमएफएल) का इस्तेमाल किया जाता है.
उपचार की बेहद जरूरत
शराब का उपयोग करने वालों में कुछ सामान्य श्रेणी के लोग होते हैं जबकि कुछ लोग शराब के नशे की बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं जिन्हें इलाज की गंभीर आवश्यकता है. ये लोग शराब पर निर्भर हो चुके होते हैं, जिन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनके जीने के लिए शराब बेहद अनिवार्य है और शराब पिए बिना वे जी नहीं सकते. इस वर्ग में सबसे ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आते हैं जहां लगभग 1.60 करोड़ लोगों को इलाज की गंभीर जरूरत है. इसके बाद आंध्रप्रदेश में 47 लाख, तमिलनाडु में 37 लाख और मध्यप्रदेश के 31 लाख शराबियों को इलाज की गंभीर आवश्यकता है.
दूसरे नंंबर पर भांग और इसके सह-उत्पाद
शराब के बाद कैनाबिस (भांग) और इससे बने उत्पाद (जैसे अफीम) सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं. कुल आबादी की 2.8 फीसदी या 3.1 करोड़ लोग इसकी गंभीर चपेट में हैं. यहां यह समझने की जरुरत है कि भांग का उपयोग कानूनन अपराध नहीं है, लेकिन इसी से बनने वालेे उत्पाद गांजा और चरस का इस्तेमाल करना, अपने पास रखना, बेचना या बेचने में सहयोग करना कानूनन जुर्म है. इसके दोषी पाए जाने पर (मात्रा के आधार पर) दोषी को छह महीने से लेकर 20 साल तक की सजा हो सकती है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के नशेड़ियों के द्वारा किया जाता है.
हेरोइन का इस्तेमाल
लगभग 2.1 फीसदी या 2.26 करोड़ लोग अफीम, पॉपी हस्क, डोडा/फुक्की या हेरोइन जैसे नशे के पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. हेरोइन का इस्तेमाल 1.14 फीसदी लोग करते हैं. सूंघकर नशा करने वाली चीजों (0.7 फीसदी) और दवाइयों के इस्तेमाल के द्वारा भी 1.08 फीसदी या 1.18 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं. इसका सबसे खतरनाक स्वरूप यह है कि कम उम्र के बच्चे इस तरह की चीजों का नशा सबसे ज्यादा कर रहे हैं, जो उनके पूरे भविष्य को बर्बाद करके रख देता है. इसके अलावा कोकीन का इस्तेमाल 0.10 फीसदी, एंफीटामाइन जैसी दवाएं 0.18 फीसदी लोग इस्तेमाल करते हैं.
नशामुक्ति के कदम
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एंटी ड्रग एक्शन प्लान फॉर 2020-21 के तहत देश के 272 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में नशामुक्ति अभियान चलाया है. इसके अंतर्गत नशे के शिकार लोगों की पहचान कर नशे से मुक्ति में उनकी मदद करना शामिल है. इन जिलों में नशामुक्ति केंद्र खोलकर दवाओं और काउंसलिंग से उनकी मदद करने की कोशिश की जा रही है. ज्यादा गंभीर लोगों के लिए पुनर्वास केंद्र भी स्थापित किए जा रहे हैं.