नई दिल्ली: मॉनसून में अपनी, घर की और घर में रखी चीजों की सेहत बनाए रखना बहुत जरूरी होता है. देखभाल में जरा-सी भी चूक होने पर लोग बीमार हो जाते हैं, घर में सीलन और तमाम चीजों में फंगस लग जाती है. बारिश में खुद की और चीजों की देखभाल के बारे में
मक्खियों और कीड़ों को रखें दूर
मॉनसून में दिन में मक्खियां तो रात में कीड़े परेशान करते हैं. रात के समय घर में लाइट जली होने पर तरह-तरह के कीट-पतंगे आने शुरू हो जाते हैं. कीड़े-मकोड़े और कीट-पतंगों को घर से दूर रखने के लिए बेहतर है कि पेस्ट कंट्रोल करवाएं. अगर आपके घर में इनकी समस्या सिर्फ बरसात के सीजन में ही होती है तो इन्हें इस तरह से दूर रखा जा सकता है:
ऐसे रुकेंगे मक्खी-मच्छर और चींटी
मक्खियों को रोकने के लिए घर को साफ और सूखा रखें. पानी में फिनायल या मार्केट में मिलने वाले फ्लोर क्लीनर जैसे लाइज़ोल, डिटॉल, डोमेक्स आदि मिलाकर फर्श को धोएं और फिर उसे सूखने दें.
अगर किसी प्रकार का मीठा घर में कहीं गिर जाता है तो उसे गीले कपड़े से तुरंत साफ कर दें.
कहीं पर पानी इकट्ठा न रहने दें. ऐसी जगह पर ही डेंगू का मच्छर पनपता है. अगर पानी निकालना संभव न हो तो उसमें केरोसिन ऑयल की कुछ बूंदें डाल दें ताकि डेंगू का मच्छर पनप न सके. अगर एक लीटर पानी भरा है तो वहां केरोसिन ऑयल की दो बूंदें डालना काफी है.
अगर घर में गमले हैं तो उनके नीचे की जगह सूखी रखें. ट्रे में जमा पानी निकाल दें. वहीं गमले और पौधों की भी साफ-सफाई भी रखें. कूलर का पानी हर हफ्ते बदलें.
कीट-पतंगों को ऐसे रोकें
घर के बाहर सफेद लाइट की जगह पीले रंग की लाइट का प्रयोग करें. जब लाइट की जरूरत न हो तो उसे बंद कर दें. इससे कीड़े लाइट की ओर आकर्षित नहीं होंगे और वे घर के अंदर भी नहीं आ पाएंगे.
शाम होते ही घर के खिड़की और दरवाजे बंद कर दें. इससे कीट घर में नहीं घुस पाएंगे.
संभव हो तो रोजाना शाम को कमरे में कपूर की दो-तीन टिकिया या कुछ नीम के पत्ते लेकर उन्हें सुलगाएं और इनका धुआं घर में फैलने दें. इससे घर में आए छोटे-छोटे कीट-पतंगे मर जाते हैं. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि जिस कमरे में धुआं करें, उस समय उस कमरे में कोई न रहे. इससे घुटन हो सकती है.
कॉक्रोच और कीड़ों की नो एंट्री…
बरसात में कॉक्रोच और दूसरे कीड़े घर में लगी नाली से ही ज्यादातर आते हैं. इन्हें रोकने के लिए रोजाना रात को नाली में कीटनाशक स्प्रे करें.
कूड़ा इकट्ठा न रहने दें. सुबह का कूड़ा शाम तक जरूर फेंक दें. कूड़ेदान को हमेशा ढक कर रखें.
रात को लाइट बंद होने के बाद छिपे हुए कॉक्रोच बाहर निकल आते हैं. ये खाने की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं. अगर इन्हें खाने का एक छोटा टुकड़ा भी मिल जाए तो ये 45 दिन तक जीवित रह सकते हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि घर में खाने की कोई भी चीज इधर-उधर खुले में न पड़ी हो.
साफ रहो, साफ खाओ
बारिश के मौसम में वातावरण में नमी अधिक हो जाती है जिससे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. इस कारण खाने-पीने की चीजों को लेकर सावधानी रखना बहुत जरूरी है. बेहतर होगा साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. खाने-पीने के दौरान इन बातों का ध्यान रखें:
हाइजीन जरूरी
खाने से पहले हाथों को हमेशा साबुन से अच्छे से धोएं और साफ कपड़े से पोंछें.
अगर रुमाल साथ रखते हैं तो उसे रोजाना बदलें। गीले हाथ पोंछने या दूसरी वजहों से रुमाल गीला हो गया है तो उसे जेब या पर्स में रखने से पहले सुखा लें. गीले रुमाल को जेब में रखने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया जल्दी पैदा होते हैं.
तौलिया भी गीला न रखें. हो सके तो उसे धूप या खुली हवा में सुखाएं ताकि उसमें फंगस लगने की आशंका न रहे.
किचन को साफ और सूखा रखें
किचन को हमेशा सूखा रखें. अगर संभव हो तो उसमें एक पंखा जरूर लगवाएं ताकि किचन की नमी को खत्म किया जा सके.
बर्तनों को धोने के बाद उन्हें साफ कपड़े से पोंछकर ही रखें. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि कपड़ा साफ और सूखा हुआ हो.
किचन में रखे चाकू के हैंडल पर सबसे ज्यादा बैक्टीरिया लगते हैं. कुछ काटते समय जब चाकू का प्रयोग करते हैं तो ये बैक्टीरिया हाथों पर आ जाते हैं. अगर हैंडल लकड़ी का है तो बैक्टीरिया तेजी से पनपता है, जिससे फंगस जल्दी लग जाता है. ऐसे में लकड़ी के हैंडल वाले चाकू को धोने के बाद उसका पूरा सूखना जरूरी है. ऐसा नहीं करेंगे तो चाकू भी आपको बीमार बना सकता है.
किचन में प्रयोग होने वाला कपड़ा सुबह-शाम बदला जाना चाहिए. साथ ही, इस कपड़े का प्रयोग तभी करना चाहिए जब वह सूखा हो. अगर कपड़ा गीला हो जाए तो उसे धूप या हवा में जरूर सुखाएं.
किचन के सिंक और जहां सिलिंडर रखा रहता है वहां नेफ्थलीन की दो-तीन गोलियां रखें। इससे सीलन की बदबू और कीड़ों से निजात मिलेगी। साथ ही किचन में नेफ्थलीन की गंध से छिपकली भी नहीं आती है.
पानी में सावधानी
आपके घर जल बोर्ड का पानी आता हो या फिर आप मार्केट में मिलने वाले पानी के जार का प्रयोग करते हों बेहतर होगा कि ऐसे पानी को इस्तेमाल सीधा न करें.
पानी को पहले दो से तीन मिनट तक उबालें। फिर ठंडा करें और उसे छान कर साफ बर्तन या किसी साफ जार में भर लें. इस पानी को बोतलों में भरकर फ्रिज में भी रख सकते हैं. प्यास लगने पर इसी पानी का प्रयोग करें. घर से बाहर निकलते समय भी इसी उबले हुए पानी को बोतल में भरकर साथ ले जाएं और इसे ही पिएं. अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसे भी यही पानी दें.