नई दिल्ली: गरीब कल्याण रोजगार अभियान (जीकेआरए) के तहत बड़े पैमाने पर ढांचा तैयार किए गए हैं. इनमें 1,37,787 जल संरक्षण ढांचा, 4,31,640 ग्रामीण घर, 38,287 मवेशियों के लिए शेड, 26,459 पोखरा, और 17,935 सामुदायिक स्वच्छता परिसर शामिल हैं.
अभियान के दौरान जिला खनिज निधि के माध्यम से 7,816 काम किए गए हैं. 2,123 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराई गई है. ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित 22,592 कार्य किए गए हैं, जबकि कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से 65,374 उम्मीदवारों को कौशल प्रशिक्षण मुहैया कराया गया है. अभियान के 16वें सप्ताह तक 33 करोड़ कार्य-दिवस का रोजगार मुहैया कराया गया. अब तक अभियान के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 33,114 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
कोविड-19 संकट के चलते अपने गांव लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण इलाकों में इससे प्रभावित नागरिकों को रोजगार और आजीविका के अवसर मुहैया कराने के मकसद से गरीब कल्याण रोजगार अभियान को शुरू किया गया था. उन छह राज्यों में यह अभियान मिशन मोड की तरह काम कर रहा है, जहां श्रमिक अपने पैतृक गांव लौटे हैं. इन राज्यों के 116 जिलों में यह अभियान आजीविका के अवसरों के साथ ग्रामीणों को सशक्त बना रहा है.
अभियान की सफलता को अब तक 12 मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के अभिन्न प्रयासों के रूप में देखा जा सकता है, जो प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण समुदायों को इतने बड़े पैमाने पर लाभ मुहैया करा रहे हैं. उन लोगों के लिए रोजगार और आजीविका के अवसर मुहैया कराने के मकसद से दीर्घकालीन पहल की जा रही है, जिन्होंने वापस गांव में ही रहने का फैसला कर लिया है.
झारखंड सहित छह राज्य चयनित
बता दें इस योजना के लिए 6 राज्यों का चयन किया गया है. इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, ओडिशा और झारखंड शामिल हैं. ये वे राज्य हैं, जहां लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक संख्या में मजदूरों ने पलायन किया है. इन राज्यों में भी जिलेवार चयन किया गया है. इन राज्यों के 116 जिलों को योजना में शामिल किया गया है. इनमें बिहार के 32 जिले, उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्य प्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, ओड़िशा के 4 और झारखंड के 3 जिले शामिल हैं.