विनय कुमार पंडित,
गिरिडीह: देवरी प्रखंड के चिकनाडीह गांव स्थित काली मंदिर में एक सौ दो वर्ष से मां काली की पूजा होती आ रही है. पूजा के शुरुआती वर्ष यहां पर पंडाल बनाकर काली पूजा की शुरुआत की गयी.
इसके बाद मंदिर निर्माण करवाकर मंदिर में पूजा की जा रही है. इस संदर्भ में बताया जाता है कई दशक पूर्व चिकनाडीह के बद्री पाण्डेय के साथ राय (घटवार) परिवार ने मिलकर गांव में सुख शांति व खुशहाली कायम रखने के लिए मां काली की पूजा की शुरुआत की थी.
जो आज तक अनवरत जारी है. वर्तमान में बद्री पाण्डेय के पुत्र सुदामा पांडेय के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से पूजा का आयोजन किया जा रहा है.
पूजा को लेकर मूर्तिकार लक्ष्मण पंडित के द्वारा काली की प्रतिमा बनाई गयी है और आकर्षक साज सज्जा की गयी है रविवार देर रात को विधि विधान से मां काली की पूजा की जायेगी. पूजा को लेकर गांव में उत्साह है.
मंदिर के प्रति लोगों में है गहरी आस्था
इस सम्बन्ध में मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय ने बताया की काली मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है. वहीं श्रद्धालुओं का मानना है की मां काली के पूजा के दिन मां के प्रतिमा समक्ष आकर मन्नत मांगने वालो की मनोकामना पूर्ण होती है.
मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु द्वारा मां काली की साज-सज्जा (डाक) का खर्च वहन किया जाता है.
मेला का होता है आयोजन
पूजा के तीसरे दिन मंदिर के प्रांगण में मेला भी लगता है इस मेले में आसपास के लोग एकत्र होकर मेला का लुत्फ उठाते हैं.
आयोजन को सफल बनाने को लेकर आचार्य पंडित दिगम्बर पांडेय उर्फ लाल बाबा, मदन मोहन व्यास, नेमधारी हजाम, रंजीत मंडल, गोविन्द पांडेय, साधू पांडेय, नवीन पांडेय, ठकुरी व्यास आदि लोग जुटे हुए हैं.