मुंबई: पिछले दो दशकों में अभिनेता सैफ अली खान बॉलीवुड में कई प्रकार की भूमिकाएं निभा चुके हैं. अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्में करने के साथ ही उन्होंने इस साल की शुरुआत दो बेहतरीन फिल्मों (तानाजी: द अनसंग वारियर और जवानी जानेमन) के साथ की. पिछले दिनों सैफ अली खान ने एक बयान भी दिया, जिसकी वजह से वह काफी चर्चा में रहे.
बहुत सारे सवाल हैं, जो लोगों से पूछे जाते हैं, जिनका जवाब आपको इतिहास और राजनीति के बारे में की गई लंबी बातचीत के जरिए देना होता है. लेकिन मैंने इससे यह भी जाना कि इनमें से बहुत से सवालों के जवाब लोगों को बांटने का काम करते हैं – कुछ लोग इससे सहमत होंगे और कुछ नहीं. लेकिन सच कहूं, तो यह हमारा काम नहीं है. मेरा काम लोगों को एकजुट करना है, और मैं वह काम अपनी फिल्मों के जरिए करता हूं. मुझे लगता है कि ऐसा बयान देना गलत है, जो लोगों को विभाजित करने का काम करे. इसलिए अब मैं ऐसी बातचीत से दूर रहना ही पसंद करता हूं, और अपने पेशे की सकारात्मक चीजों पर अधिक ध्यान देता हूं, जो देश को एक साथ लाने का काम करती हैं.
मुझे लगता है कि यह कुछ चीजों का संयोजन है. जिस तरह की फिल्में बन रही हैं, भूमिकाएं पेश की जा रही हैं, उसने चीजों को अधिक रोचक बना दिया है. चीजें बदल रही हैं. इसने मुझे विभिन्न पात्रों को निभाने का अवसर दिया है. सच कहूं तो मैं एक्टिंग करने और जिस प्रकार की भूमिकाएं मुझे मिल रही हैं, उनका लुत्फ उठा रहा हूं.
हां, यह सच है. एक अभिनेता के रूप में आप चाहते हैं कि आप कई प्रकार के रोल करें. आम तौर पर मैं चाहता हूं कि थोड़ी और कॉमेडी फिल्में करूं. मुझे कॉमेडी करने में मजा आता है. इसके साथ ही मैंने कुछ गंभीर किरदारों को भी निभाया है. लोग भी कई किस्म के रोल का आनंद लेते हैं, और मैं भी लोगों के लिए इसे करना चाहता हूं.
आदि (आदित्य चोपड़ा, फिल्म निर्माता) ने भारत में इस शैली को प्रस्तुत किया. मैं उनका हिस्सा था. उस समय मल्टीप्लेक्स आ रहे थे, इसलिए हमने जिस तरह की फिल्में बनाईं, उन्हें बदल दिया. ‘हम तुम’ (2004) और ‘सलाम नमस्ते’ (2005) जैसी फिल्में इसमें शामिल हैं। हां, मैं इन बदलावों का हिस्सा जरूर रहा हूं.