फलक शमीम
राँची 27 जून: पूरी तरह से जैविक आमों का उपभोग करने वालों के लिए एक महान अवसर है। यह दूसरा मैंगो महोत्सव है , जिसमे झारखण्ड के अलग अलग जिलों से कई किस्में के आम लाई गई है म इस मैंगो फेस्टिवल में बहुत से लोग शामिल हुए।
लोग सबसे ज्यादा उत्सुक क्षेत्र में उगाया जाने वाला अम्रपाली नामक आम के लिए थे । कई ग्राहक आम के आकार और दुर्लभ प्रकृति से मनमोहित दिख रहे थे । जंहा ग्राहकों को हाथों में आम लेकर आम के साथ तस्वीरें लेते देखा गया । अम्रपाली आम आदिवासी बहुल जिले साहेबगंज और पास के क्षेत्रों में उगाया जाता है।
क्या कहते है किसान
एक किसान ने कहा, ‘इस प्रजाति के आम की गुठली पतला होता यह झारखण्ड के संथाल क्षत्रो में ज्यादा पाया जाता है। आमो की ख़ास बात यह भी थी की अधिकतर आम 2-3 दिनों के बाद खाने योग्य होंगे फिलहाल आम अधपके थे जिस वजह से लोग इसे और भी चाव से खरीद रहे थे दोस्तो व रिस्तेदारो को भेंट करने के लिए ।
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क्या कहते है ग्राहक
एक ग्राहक ने बताया कि , ‘मुझे दशहरी आम सबसे ज्यादा पसंद है, क्योंकि वे बहुत मीठे होते हैं। मैंने आम की बहुत सी प्रजातियां देखी हैं। फिर भी देखने के लिए बहुत कुछ बचा है। इन आमों और बाजार में बिकने वाले आमो के बीच का अंतर यह है कि यहां के आम बेहद ताजा और बिना कार्बाइड वाले होते हैं ।
किसानों की आई बढ़ी
महोत्सव की शुरुवात श्री रमेश घोलप, निर्देशक कृषि , झारखंड सरकार एवं आशीष कुमार पाढी, मुख्य महाप्रबंधक, ( नाबार्ड )ने की
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा ,
‘यह महोत्सव पहले हमारे आदिवासी किसान भाइयों और फिर आम आदमी के लिए एक मौका है। आदिवासी कम कीमत पर बिचौलियों या बड़े व्यवसायों को आम बेचते थे और अब इन्हें अच्छी कीमत मिलने लगी है , जिससे इनकी आय दोगुनी हो गई है