RANCHI: शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहें हैं. माता दुर्गा की आराधना सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है ऐसे में देवी भागवत पुराण के अनुसार शारदीय नवरात्र का आगमन अश्व घोड़े पर होगा जिसके परिणाम स्वरूप छत्र भंग पड़ोसी देशों से युद्ध आंधी तूफान लाने वाला सर्व रूप में कहे तो आने वाले वर्ष में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है, एवं सरकार को जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है कृषि के मामलों में आने वाला साल सामान्य रहेगा. देश के कई भागों में कम बारिश होने से कृषि को हानि और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा इस बार नवरात्रि विदाई भैंसे पर होगी और इसको भी अच्छा नहीं माना जाता.
नवरात्र में घटस्थापना पूजन समय
शारदीय नवरात्र 16 अक्टूबर की रात्रि 1:00 बजे से प्रतिपदा प्रारंभ होगी जोकि 17 तारीख को रात्रि 9:08 तक रहेगी इस प्रकार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:27 से 10:13 मिनट तक का है इसके उपरांत अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:44 से 12:49 तक शुभ रहेगा.
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार नवरात्र पूजा विधि
नवरात्रि पूजा विधि इस प्रकार होनी चाहिए
सर्वप्रथम एक दिवस पूर्व मन वचन कर्म से हम संकल्प लें तत्पश्चात प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ एवं स्वच्छ वस्त्र आदि पहने
पूजा सामग्री को एक दिवस पूर्व ही एकत्रित कर ले उससे पूजा के थाल को सजा लीजिए
मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें सर्वोत्तम होगा
मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोए और नवमी तक प्रतिदिन जल का प्रदान करें.
पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें इससे पहले कलश को गंगाजल से भरना चाहिए उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं ऊपर नारियल रखें, नारियल को लाल कपड़े में लपेट दें. वह कलावा के माध्यम से बांध दें तत्पश्चात इसको मिट्टी के बर्तन पर रखना चाहिए.
फूल कपूर और ज्योति साथ पंचोपचार पूजन करें
9 दिन तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप एवं माता का स्वागत करके उनसे सुख समृद्धि की कामना करनी चाहिए .
अष्टमी और नवमी को दुर्गा पूजा के पश्चात नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजन का भोग लगाना चाहिए तत्पश्चात जो घट स्थापित किया है उसका विसर्जन करके मां की आरती गाएं, उन्हें फूल और चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश का उठाना चाहिए.
यहां उल्लेख करना आवश्यक है यदि संभव हो तो प्रतिदिन यदि हम एक कन्या का पूजन करें साथ ही नवमी को उसे संपूर्ण वस्त्र आदि देकर विदा करें तो सर्वश्रेष्ठ होगा .
नवरात्रि के लिए पूजन सामग्री
मां दुर्गा की प्रतिमा यदि धातु की है तो सबसे अच्छा और नहीं होने पर चित्र भी श्रेष्ठ रहता है. लाल चुनरी आम की पत्तियां चावल दुर्गा सप्तशती की पुस्तक लाल कलावा गंगाजल चंदन नारियल कपूर जो के बीज मिट्टी का बर्तन गुलाल सुपारी पान के पत्ते लॉन्ग इलायची कपूर आदि पूजा की थाली में रखना चाहिए.
नवरात्र में रंगो का महत्व नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग होता है इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य प्राप्ति होती है ऐसा मार्कंडेय पुराण में उल्लेख हैं.
प्रतिपदा पीला, द्वितीय-हरा, तृतीया_भूरा, चतुर्थी_ नारंगी ,पंचमी सफेद, षष्ठी_ लाल ,सप्तमी_ नीला, अष्टमी_ गुलाबी, नवमी_ बैगनी,
किस दिन किसकी पूजा करनी चाहिए
प्रथम दिवस माता शैलपुत्री, द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी, तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा, चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा, पंचम दिवस स्कंदमाता, छठवें दिन मां कात्यानी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नवें दिन माता सिद्धिदात्री मार्कंडेय पुराण के अनुसार मां के इस रूप की आराधना जो सच्चे मन से करता है उसे हर प्रकार की सुख संपत्ति प्राप्त होती है
नौ दिन में पूरे होंगे सभी पर्व
शारदीय नवरात्र में प्रतिपदा से दसवीं तक का पर्व 9 दिन में मनाया जाएगा जिसमें प्रतिपदा 17 अक्टूबर को और विजयादशमी 25 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. क्योंकि इसमें तिथियों का चढ़ाव उतार हो रहा है यहां जानने योग्य विशेष बात है 24 अक्टूबर को प्रातः 6:58 तक अष्टमी है तत्पश्चात नवमी आ रही है इस कारण से अष्टमी और नवमी का पूजन एक ही दिन करना सर्वसम्मति उचित होगा. 25 अक्टूबर को प्रातः काल 7:41 पर दशमी तिथि का प्रारंभ है जिसके कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होगा. जो कि सर्वश्रेष्ठ है इस प्रकार 9 दिन में 10 पर्व संपन्न होंगे.
हवन पूजन समय 23 अक्टूबर को दोपहर 1:56 से लेकर 24 अक्टूबर सायं काल तक श्रेष्ठ रहेगा.
माता महामाई सबकी मनोकामना को पूर्ण करें एवं सुख समृद्धि प्रदान करें .
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
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