देवघर:- उद्यान विकास योजना के तहत उपायुक्त की अध्यक्षता में 5 दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का समापन कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र, सुजानी में किया गया. योजना के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों व प्रशिक्षकों द्वारा 5 दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से फल, फूल, सब्जी, मत्स्य, उन्नत बीज, मिट्टी की उर्वरा क्षमता के साथ कृषि, बागवानी, मत्स्य, गव्य विकास, भूमि संरक्षण, उद्यान विभाग से जुड़े विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी व इन योजनाओं के लाभ हेतु आवश्यक पात्रता से अवगत कराया गया. उद्यान विकास योजना के तहत कुल 75 उद्यान-बागवानी मित्रों को कृषि विज्ञान केन्द्र, सुजानी में प्रशिक्षण व परिभ्रमण के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया.
इसके अलावे कार्यशाला के अंतिम दिन सभी उद्यान-बागवानी मित्रों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार व राज्य सरकार प्राथमिकता है कि कृषि, उद्यान, मत्स्य के क्षेत्र में सभी को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाया जा सके. झारखण्ड राज्य के साथ-साथ देवघर जिले में कृषि की अपार संभावनाएँ हैं और ऐसे में यदि हम सभी टीम भावना के साथ मिलकर कार्य करें और सरकार द्वारा चलायी जा रही कृषि योजनाओं को सही ढंग से धरातल पर उतार पायें तो वह दिन दूर नहीं है जब किसानों की आय दोगुनी हो जायेगी.
इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजंत्री द्वारा जानकारी दी गयी कि वर्तमान में कृषि के अलावा पशुपालन के अन्तर्गत सुअर पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गौ पालन से जोड़ने व किसानों की स्थिति को और भी सुदृढ़ करने हेतु फूल, मशरूम, फलदार वृक्ष के साथ-साथ पपीता की खेती पर भी विशेष ध्यान देते हुए किसानों के आय के स्त्रोत में वृद्धि लायी जा सके. इसके अलावे मछली उत्पादन के विषय में बात करते हुए उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजंत्री द्वारा बतलाया गया कि देवघर जिले में मछली का वृहद स्तर पर उत्पादन करने की क्षमता है. ऐसे में सामुहिक प्रयास से आगे आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में बेहतर परिणाम देखने को मिल सकता है. उपायुक्त द्वारा आगे जानकारी दी गयी कि पौधों के वृद्धि एवं बेहतर संवर्धन हेतु जैविक खाद ज्यादा उपयोगी है. इसलिए हम सभी को चाहिए कि हम जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा दें. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में देवघर के कुछ कृषक जैविक खाद के प्रयोग व इसके लाभ के प्रति जागरूक होकर खुद से जैविक खाद बना रहे है एवं अपने खेतों में इसका प्रयोग कर रहे हैं, जिसका अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है. इसके तहत कृषकों द्वारा मिट्टी, गोबर, नीम पत्ता व अन्य पत्तों के मिश्रण का उपयोग कर जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है एवं वे अपने खेतो में रसायनिक खाद के जगह स्वयं से निर्मित जैविक खाद का उपयोग कर अपने फसलों के उपज को दुगुना कर रहे है. हम आधुनिक व जैविक खेती पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी अहम है एवं इससे पौधों का विकास व संवर्धन भी काफी अच्छे तरह से होता है. जिला प्रशासन द्वारा किसानों की सुविधा को देखते हुए समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन कर आधुनिक व जैविक खेती के अधिक से अधिक उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता रहा है, ताकि आर्गेनिक कृषि को भी बढ़ावा मिल सके.
ऐसे में कृषक मित्रों की तरह आप सभी उद्यान-बागवानी मित्रों का यह दायित्व होगा कि प्रशिक्षण के पश्चात अपने-अपने प्रखंडों व पंचायतों में फसल क्षेत्र विस्तार कार्य, फसल उत्पादकता में सुधार, उद्यानिकी सांख्यिकी का सही मूल्यांकन, नई तकनीक जैसे तकनीक का प्रसार क्षेत्र तथा कृषक संख्या, उर्वरक उपयोग में सुधार, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन का उपयोग, समेकित कीट प्रबंधन का उपयोग, भंडारण तकनीक में सुधार, बीज उत्पादन का कार्य, फसल कटाई उपरांत प्रबंधन में सुधार, केन्द्रीय प्रायोजित योजना व राज्य योजना के कार्यान्वयन की प्रगति के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे. इसके अलावे वर्तमान में स्वस्थ्य समाज की परिकल्पना आति आवश्यक है. जिसको लेकर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा पोषण संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए दीदी बाड़ी योजना का शुरुआत की गई है. लाभुक अपने बेकार पड़े जमीन में खेती कर स्वावलंबी बन सकेंगे. इसके लिए लाभुको को जेएसएलपीएस के द्वारा बीज, पौधा उपलब्ध किया जायेगा एवं मनरेगा योजना के माध्यम से लाभुकों को मजदूरी भुगतान किया जायेगा. साथ ही उन्होंने सभी से दीदी बाड़ी योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने का आग्रह किया.
कार्यशाला के दौरान उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गयी कि मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का शुभारंभ झारखण्ड राज्य में किया गया है. माननीय मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के अनुरूप योजना में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सुविधाओं और अनुदान के प्रावधानों का समावेश किया गया, ताकि पशुपालन के क्षेत्र में लोग आगे बढ़ सकें.
इसके अलावे उपायुक्त ने कार्यशाला के माध्यम से अपील करते हुए कहा कि पूराने कुरीतियों को समाप्त करते हुए बेटियों के लिए एक नया और शिक्षित समाज के निर्माण में आप सभी की भागीदारी आपेक्षित है, ताकि अन्य राज्यो के लिए एक उदाहरण के रूप में देवघर जिला को पेश किया जा सके. वर्तमान में देवघर जिला अन्तर्गत घटते लिंगानुपात को देखते हुए सभी से सहयोग की बात करते हुए कहा कि हम सभी मिलजुल कर बेहतर तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि इस घटते आंकड़े को रोकते हुए इसे बेहतर बनाया जा सके. आज के समय में अल्ट्रासाउंड जांच में गर्भस्थ शिशु के ‘‘लिंग‘‘ की जांच करने और कराने के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाना अतिआवश्यक है. गर्भवती महिला की अल्ट्रासाउंड जांच का इस्तेमाल गर्भस्थ शिशु के विकास की गतिविधियों पर नजर रखकर उसकी खामी दूर करने के लिए होना था. मगर इसका गलत इस्तेमाल कन्या भू्रण हत्या के लिए किया जा रहा है. ऐसे में जरूरत है कि हम सभी मिलजुल कर कन्या भू्रण हत्या जैसी कुप्रथा को दूर करते हुए ऐसा करने वाले लोगों को चिन्ह्त करते हुए उपायुक्त कार्यालय को अवगत करायें, ताकि उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करें.
इस दौरान उपरोक्त के अलावे वरीय वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, सुजानी डॉ0 आनन्द तिवारी, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ0 राजन ओझा, जिला उद्यान पदाधिकारी डॉ0 कमल कुजूर, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी रामकुमार सिंह के साथ-साथ संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मी आदि उपस्थित थे.