अमेरिका: डॉक्टरों की लापरवाही की कई कहानियां आपने आस-पास में सुन रखी होंगी. छोटे शहरों के झोला-छाप डॉक्टरों से लेकर बड़े शहरों के महंगे अस्पतालों तक के मामले लगातार सामने आते रहते हैं.
इन कहानियों को पढ़कर गुस्सा भी आता है और पूरी व्यवस्था के प्रति लोगों का मोह भी भंग होता है. लेकिन, मामला सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है. ऐसी लापरवाही उन मुल्कों में भी हो रही है, जिन्हें दुनिया भर में सबसे विकसित देशों के तौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिका के न्यू जर्सी के अस्पताल का मामला सुनकर आप दंग रह जाएंगे. यहां किडनी प्रत्यारोपण के लिए दो मरीज भर्ती थे. डॉक्टर को दो अलग-अलग किडनियां इन दोनों के शरीर में लगानी थी.
किडनियों का प्रबंध भी हो गया, लेकिन जो किडनी जिस मरीज के शरीर में लगाई जानी थी उसे दूसरे मरीज के पेट में लगा दिया गया. किडनियों की अदला-बदली हो गई.
ये इतना खतरनाक हो सकता है कि मरीज की जान फौरन जा सकती है. वो तो शुक्र है कि गलत किडनियों के बावजूद दोनों की हालत अब तक ठीक है. मामले के तूल पकड़ने के बाद अस्पताल ने माना कि डॉक्टरों से भारी चूक हो गई है. पूरा मामला विरटुआ आवर लेडी ऑफॉ लॉर्ड्स अस्पताल का है.
18 नवंबर को 51 साल के एक मरीज की किडनी का प्रत्यारोपण हुआ, लेकिन उनके भीतर जो किडनी लगाई गई वो दूसरे मरीज की थी.
अस्पताल का दावा है कि ये चूक इसलिए हुई क्योंकि दोनों मरीजों का नाम एक ही था. उसी नाम के दूसरे मरीज को प्राथमिकता के साथ प्रत्यारोपण किया जाना था. लिहाजा अगले ही दिन अस्पताल को अपनी गलती का एहसास हुआ.
अस्पताल के प्रवक्ता ने बाद में बताया कि दूसरे मरीज को छह दिन बाद किडनी मिल पाई और रविवार को उनका प्रत्यारोपण भी सफलतापूर्वक संपन्न हो गया.
उन्होंने अमेरिकी टीवी चैनल को बताया, “अच्छी बात ये है कि दोनों जरूरतमंद मरीजों को किडनियां मिल गई हैं और दोनों फिलहाल स्वस्थ हैं.”
अस्पताल भले ही अब राहत की सांस ले रहा हो, लेकिन जब ये चूक हुई तो पूरे प्रबंधन में खलबली मच गई थी. मेडिकल निदेशक और प्रत्यारोपण संयोजक ने आनन-फानन में उस मरीज के घर पहुंचे जिनकी किडनी बदली जानी थी. दोनों ने उनसे माफी मांगी और आगे किसी भी तरह की सहायता का वादा किया.
अस्पताल के मुख्य चिकित्सकीय अधिकारी डॉक्टर रेगिनेल्ड ब्लेबर ने बयान जारी कर कहा, “लोग अपनी जान हमारे हाथों में सौंप देते हैं, ऐसे में हम इस भारी चूक की पूरी तरह ज़िम्मेदारी लेते हैं. इस तरह की ग़लतियां विरले ही होती है. भले ही दोनों मरीजों का नाम एक था, तब भी दोनों की अतिरिक्त पहचान होनी चाहिए थी.”