इस विद्यालय को विश्व के मानचित्र पर पहचान दिलाने के लिए सरकार पहल करेगी, संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी
वर्ष 1954 में स्थापना के बाद से यह विद्यालय नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, यहां के विद्यार्थी हर क्षेत्र में लहरा रहे हैं अपना परचम
नेतरहाट आवासीय विद्यालय आने की कई वर्षों की दिली ख्वाहिश आज पूरी हुई
अनुशासन और समावेशी शिक्षा के लिए इस विद्यालय की अपनी एक अलग पहचान है
नेतरहाट विद्यालय की व्यवस्था अपनाकर किसी भी संस्थान में जान फूंकी जा सकती है
नेतरहाट आवासीय विद्यालय की तरह अन्य विद्यालयों को भी बेहतर बनाने का प्रयास कर रही सरकार
रांची: नेतरहाट आवासीय विद्यालय ना सिर्फ झारखंड बल्कि देश के गौरवशाली और प्रख्यात विद्यालय के रूप में जाना जाता है. इस विद्यालय के गौरव को बनाने और बताने की जरूरत नहीं है. सिर्फ थोड़ा आकार देने की जरूरत है, ताकि विश्व के पटल पर इस विद्यालय को पहचान दिलाई जा सके.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज नेतरहाट आवासीय विद्यालय परिसर का अवलोकन किया. विद्यालय परिवार की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थापना काल से ही यह विद्यालय नई ऊंचाइयों को छू रही है. इस विद्यालय की अपनी एक अलग ही पहचान है. बस इस पहचान को आगे भी कायम और संरक्षित रखना है. इस विद्यालय की समृद्ध व्यवस्था को बनाए रखने में सरकार पूरा सहयोग करेगी.
ऑडिटोरियम परिसर में किया पौधारोपण, लाइब्रेरी भी देखी
अभिनंदन समारोह में प्राचार्य संतोष कुमार सिंह ने विद्यालय परिवार की ओर से मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन को स्मृति चिन्ह प्रदान किया. वहीं, विद्यालय के ऑडिटोरियम परिसर में मुख्यमंत्री ने पौधरोपण किया और लाइब्रेरी का भ्रमण किया.
यहां आने की दिली ख्वाहिश पूरी हुई
मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे अर्से बाद इस विद्यालय में आने का मौका मिला है. काफी समय से यहां आने की दिली ख्वाहिश थी, जो आज पूरी हुई. दूसरी बार यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. वैसे भी नेतरहाट की मनोरम वादियों में जो सैलानी आते हैं, उनकी यह यात्रा तभी पूरी मानी जाती है, जब उसने नेतरहाट आवासीय विद्यालय को देखा हो. यह विद्यालय हमारे राज्य की शान है.
अपने आप में अनूठा है यह आवासीय विद्यालय
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय अपने आप में अनूठा है. वर्ष 1954 में स्थापना के बाद से ही यह विद्यालय हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करता आ रहा है. इस विद्यालय का कैंपस 460 एकड़ में फैला हुआ है, जो कि देश में शायद ही किसी विद्यालय का होगा. यहां विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी पारंगत बनाया जाता है. इस विद्यालय मैं किसी चीज की कोई कमी नहीं है. अपनी ताकत लेकर यह स्थापित है.
समावेशी शिक्षा के लिए यह जाना जाता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विद्यालय ने समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है. यहां के विद्यार्थी सिर्फ किताबी कीड़ा नहीं होते हैं. वे जब इस विद्यालय से निकलते हैं तो हाथों में हुनर होता है, जिसकी बदौलत वे विभिन्न क्षेत्रों में ना सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाते हैं बल्कि दूसरों को भी उस काबिल बनाते हैं. अनुशासन और बेहतर व्यवस्था के लिए के लिए यह विद्यालय जाना जाता है.
यहां के विद्यार्थी हर क्षेत्र में लहरा रहे हैं परचम
मुख्यमंत्री ने इस विद्यालय की तारीफ करते हुए कहा कि यहां के विद्यार्थी हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं. ये अपने साथ-साथ परिवार, समाज, राज्य और देश का भी नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे संस्थानों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
सरकारी व्यवस्था की मिसाल है यह विद्यालय
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग अक्सर सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हैं. लेकिन इस स्कूल की व्यवस्था मिसाल है. यहां की व्यवस्था को अपनाकर किसी भी संस्थान में जान फूंका जा सकता है.
नेतरहाट जैसे विद्यालयों की आज जरूरत है
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नेतरहाट जैसे विद्यालयों की जरूरत है. इस विद्यालय की उर्जा का इस्तेमाल अन्य विद्यालयों की व्यवस्था को बेहतर और उत्तम बनाने में किया जा सकता है. सरकार इस दिशा में बहुत जल्द बड़े कदम उठाने जा रही है.