नई दिल्ली: कोरोना के बढते प्रकोप को देखते हुए दुनिया में कई देश इसके लिए वैक्सीन की खोज कर रहे है. लेकिन अब कहा जा रहा है कि कोरोना से बचाव के लिए विकसित किए जा रहे वैक्सीन बन भी जाए तो इसकी गारंटी नहीं है कि ये मरीजों पर कारगर साबित होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने मंगलवार को कहा कि विकास के दौर से गुजर रहे ये वैक्सीन काम करेंगे या नहीं अभी कहा नहीं जा सकता है.
वैक्सिनों के कारगर होने की नहीं है गारंटी
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि डब्लूएचओ के पास इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोरोनो महामारी के लिए विकसित किए जा रहे वैक्सिनों में से कोई काम करेगा या नहीं. डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि विकास के चरण से गुजरने के दौरान भी कोई टीका काम करेगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा से ज्यादा स्वयंसेवकों पर टीकों का परीक्षण किया जाएगा, एक बेहतर और प्रभावी वैक्सीन के विकास में यह उतना ही अच्छा परिणाम होगा.
टेड्रोस ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए स्वयंसेवकों के माध्यम से लगभग 200 वैक्सीन विकसित किए जा रहे हैं. कोरोना के लिए यह वैक्सीन वर्तमान में परीक्षण के चरण में हैं. विकास के चरण में इनमें से कुछ असफल होंगे और कुछ सफल होंगे.
कोवाक्स सुविधा सरकारों को वैक्सीन के विकास में करेगा मदद
कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में जुटे वैश्विक गठबंधन समूहों और सीईपीआई के साथ डब्ल्यूएचओ समन्वय कर रहा है. साथ ही भविष्य में देशों के बीच टीकों के समान वितरण को सक्षम करने के लिए एक तंत्र बनाया गया है. उन्होंने कहा कि यह कोवाक्स सुविधा सरकारों को वैक्सीन के विकास में सक्षम बनाती है और यह सुनिश्चित करती है कि उनके नागरिकों तक प्रभावी टीका जल्द पहुंच सके.
कोवाक्स सुविधा महामारी को नियंत्रण में लाने, जीवन बचाने और आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने में मदद और सुनिश्चित करेगी. डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने सभी देशों से कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज में एक साथ मिलकर काम करने का आग्रह भी किया.