रांचीः सिर्फ विपक्षी दलों के महागठबंधन में ही रार नहीं है. एनडीए में भी रार और तकरार की चिंगारी सुलग रही है. सीट शेयरिंग का पेंच सुलझाना आसान नहीं होगा. खास कर उन तीन सीटों पर तकरार हो सकती है, जिसमें बीजेपी और आजसू दोनों की नजर है. इन सीटों पर दोनों दलों की दावेदारी है. इन तीन सीटों को लेकर आजसू का प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल जारी है.
आजसू ने लोहरदगा सीट पर ठोंकी दावेदारी
आजसू ने लोहरदगा सीट पर अपनी दावेदारी ठोंक दी है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने स्पष्ट कर दिया है कि लोहरदगा आजसू की परंपरागत सीट है. इस पर आजसू लगातार दो बार चुनाव जीत चुकी है. हालांकि अब तक एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. फिलहाल लोहरदगा से आजसू का कैंडिडेट कौन होगा, इस पर पार्टी की बैठक में तय किया जाएगा. लेकिन आजसू इस सीट को हासिल करने के लिए पूरा दमखम लगाएगी. इधर, भाजपा की दिलचस्पी भी लोहरदगा सीट में है. भाजपा लोहरदगा से सुखदेव भगत को लाकर दांव खेलना चाहती है. अगर सुखदेव भगत भाजपा का दामन थाम लेते हैं तो आजसू के लिए राह असान नहीं होगी.
चंदनकियारी सीट पर भी फंस सकता है पेंच
एनडीए में चंदनकियारी भी हॉट सीट मानी जा रही है. इस सीट पर पिछली बार झारखंड विकास मोर्चा के अमर बाउरी ने जीत हासिल की थी. बाद में बाउरी पाला बदल कर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. इधर, आजसू ने कहा है कि यह सीट आजसू की है. पूर्व मंत्री उमाकांत रजक प्रमुख दावेदार हैं. पिछले चुनाव में उमाकांत रजक दूसरे नंबर पर थे. इस सीट को लेकर एनडीए में काफी माथापच्ची हो सकती है. अगर बीजेपी इस सीट को नहीं छोड़ती है तो उमाकांत रजक दूसरा आशियाना भी तलाश सकते हैं.
हटिया विधानसभा सीट में भी है टसल
हटिया विधानसभा सीट में भी टसल है. आजसू से झाविमो गए नवीन जायसवाल ने पिछले चुनाव में झाविमो के टिकट पर जीत हासिल की थी. इसके बाद वे भी भाजपा में चले गए. बताते चलें कि सबसे पहले नवीन ने आजसू के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी. पिछले चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट भाजपा के खाते में चली गई. तब नवीन ने आजसू छोड़ झाविमो का दामन थाम लिया. झाविमो के टिकट पर चुनाव जीता. ऐसे में नवीन के साथ आजसू पुराना हिसाब बराबर कर सकती है. वहीं बीजेपी ने हटिया से सीमा शर्मा को मैदान में उतारा था. आजसू भी इस सीट पर दावा ठोंक सकती है.