दुमका: पूर्व मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने 16 अगस्त 2020 को विधानसभा परिसर में अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि आयोजित नहीं करने देने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि जिस महापुरुष ने झारखंड का निर्माण किया, पुण्यतिथि पर उनका इस प्रकार अपमान करना दुर्भाग्यपूर्ण है. यह पूरे राज्य की जनभावना का भी अपमान है.
जिस झारखंड को उन्होंने बनाया, क्या वाजपेयी जी को इस महान कार्य के लिए उसी राज्य की धरती पर अपनी पुण्यतिथि के दिन सम्मान के दो फूल पाने का भी हक नहीं है? वे सोमवार को भाजपा जिला कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रही थी.
उन्होंने कहा कि अटल जी कोई सामान्य व्यक्ति तो नहीं थे, उनकी पुण्यतिथि को झारखंड सरकार और विधान सभा सचिवालय द्वारा बिसराना एक अक्षम्य अपराध है.
इस गम्भीर अपराध के लिए राज्य सरकार को राज्य की जनता से तत्काल माफी मांगनी चाहिए और विधानसभा सचिव को अविलम्ब बर्खास्त करनी चाहिए. दल भिन्न हो सकते हैं परंतु इस प्रकार महापुरुषों के सम्मान में भेदभाव एक गंभीर परंपरा की शुरुआत होगी. यह परिपाटी कहीं से उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा सचिव से दूरभाष पर राज्यसभा सांसद द्वारा वाजपेयी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण की अनुमति मांगने पर सचिव का यह जवाब कि अगर अटल जी की पुण्यतिथि थी तो बतला देते, हम लोग माल्यार्पण कर दिए होते.
अब सहज अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारियों के मन में वाजपेयी जी जैसे युगपुरुष व महापुरुष के प्रति कैसा सम्मान है? विधानसभा अध्यक्ष का मोबाइल बन्द होना भी ना चाहते हुए कहीं ना कहीं संदेह को जन्म दे रहा है.
उन्होंने कहा कि अनुमति मांगने के दौरान सचिव का जिस प्रकार का रूखा व्यवहार देखने को मिला, उससे स्पष्ट हो गया कि जुबान भले ही सचिव की हो परंतु शब्द का स्क्रिप्ट सरकार द्वारा तैयार की गई थी.
झारखंड सरकार का या भेदभावपूर्ण रवैया ही बताने के लिए पर्याप्त है कि भाजपा और इनकी जैसी पार्टियों में क्या फर्क है. जो भाजपा अलग दल से ताल्लुक रखने के बावजूद शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजने का काम करती है, उनको सम्मान देती है.
बाबूलाल जी द्वारा आदरणीय शिबू सोरेन का नाम अनुशंसित करने के बाद अटल जी को भी शिबू सोरेन जी के नाम पर तनिक भी आपत्ति नहीं होना, भाजपा के नेताओं व अटल जी के हृदय की विशालता और राजनीतिक संस्कार बताने के लिए काफी है. परंतु आज जेएमएम क्या कर रही है यह देखने की चीज है.
मरांडी ने कहा कि जेएमएम सरकार को जो करना है करें परंतु भाजपा कभी किसी महापुरुष के साथ भेदभाव ना पहले कभी की है और ना ही कभी भविष्य में ही करेगी. पार्टी का संस्कार बाजारों में मिलने वाली कोई वस्तु नहीं है जो कोई भी खरीद ले. इसके लिए तपना पड़ता है , अपने आप को गढ़ना होता है.
झामुमो और कांग्रेस नेताओं की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. वह सार्वजनिक जगहों पर तो अटल जी को आदरणीय बताती है, परंतु वास्तविक जीवन में उनका क्या सलूक होता है. कल की घटना से बेहतर उसका कोई और उदाहरण नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा कि जिस महापुरुष को भारत रत्न देने के लिए देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रोटोकॉल को तोड़कर वाजपेयी जी के घर जाकर सम्मान दिया था. उस शख्स वाली पार्टी को जेएमएम के नेता प्रोटोकॉल का मतलब समझाने चले हैं. भाजपा की डोर ही अनुशासन और नियमों से बंधी है.
बात यहां झारखंड निर्माता के सम्मान भर की है. कोई जरूरी नहीं कि हम भाजपा नेता ही उनकी पुण्यतिथि पर वहां जाकर उनका सम्मान करते? अगर राज्य सरकार या विधान सभा सचिवालय द्वारा माल्यार्पण कर दी जाती तो फिर इनका ही मान बढ़ता.
जब इन लोगों के द्वारा वाजपेयी जी का सम्मान नहीं किया गया तब हम लोग को जाना पड़ा. उसके बाद भी माल्यार्पण नहीं होने देना, यह साबित करता है कि यह सब सरकार के स्तर से सुनियोजित था.
यह कोई पहला मामला नहीं है जब वाजपेयी जी को अपमानित किया गया हो. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी सरकारी विज्ञापन में झारखंड निर्माता में इनका नाम नहीं दिए जाने से सरकार की नीयत साफ समझी जा सकती है.
दुनियां जानती है कि झारखंड का गठन वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने किया, परन्तु सरकार के विज्ञापन में सिर्फ शिबू सोरेन जी के नाम का उल्लेख करने से भी सरकार की मंशा को आसानी से समझा जा सकता है?
अगर प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करना और उनके समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित करना वर्तमान में नियम संवत नहीं है तो इसी लॉकडाउन की अवधि में एक बार नहीं बल्कि कई स्थानों पर सत्तापक्ष के नेताओं और अधिकारियों द्वारा महापुरुषों व अन्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की अनुमति कैसे मिली?
क्या यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं था? चाहे राज्य या देश के जो भी महापुरुष हैं, सभी के प्रति भाजपा बराबर और समान रूप से आदर और सम्मान का भाव रखती है.
हमें किसी महापुरुष की प्रतिमा पर कि गयी सम्मान से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा दिए जा रहे बेतुके तर्क और बहानेबाजी पर आपत्ति है. उक्त प्रेस कांफ्रेंस में जिलाध्यक्ष निवास मंडल, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता जवाहर मिश्रा, पिंटू अग्रवाल उपस्थित थे.