नई दिल्ली: ड्रोन से सैनिटाइजेशन का ट्रायल सफल होने के बाद उत्तरी निगम ने अब ड्रोन से थर्मल स्कैनिंग का ट्रायल किया है. इसके माध्यम से न केवल मानव रहित थर्मल स्कैनिंग की जा सकती है, बल्कि सील किए गए इलाकों में कोरोना के संभावित मरीजों की पहचान भी की जा सकती है. 30 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाला यह ड्रोन जिस घर में कोरोना के लक्षणों वाले व्यक्ति की पहचान करेगा उसके घर सैनिटाइजेशन का कार्य भी कर देगा.
उत्तरी निगम ने मजनू का टीला की मार्केट में महापौर अवतार सिंह की उपस्थिति में इसका ट्रायल किया. ट्रायल के दौरान मौके पर मौजूद लोगों की हवा से थर्मल स्कैनिंग की.
हालांकि इस दौरान किसी को लक्षण नहीं पाए गए. महापौर ने बताया कि इस तकनीक का उपयोग करके न केवल हम अपने मेडिकल स्टॉफ की सुरक्षा सुनिश्चत कर सकेंगे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच की जा सकेगी.
उन्होंने बताया कि फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है. शनिवार को सील गई तिब्बती कॉलोनी में इसका ट्रायल किया जाएगा. इससे लोगों की जांच की जा सकेगा, क्योंकि इस कॉलोनी को एक अप्रैल से सील कर रखा है. उन्होंने बताया कि संकरी गलियों में बालकोनी और घरों की छतों पर बैठे या खड़े लोगों की थर्मल स्कै¨नग की जा सकेगी.
महापौर ने कहा कि जिस इलाके में कोरोना के मामले आते हैं वहां पर डोर-डोर सर्वे होता है. ऐसे में कर्मचारियों को भी संक्रमण का खतरा रहता है. हमारी कोशिश हैं कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जहां ड्रोन से हर घर के व्यक्ति की स्क्रीनिंग हो जाए. ऐसे करता है कामड्रोन बनाने वाली कंपनी इंडियन रोबोटिक सोलुशन प्राइवेट लिमिटेड के सह संस्थापक प्रशांत ने बताया कि इस ड्रोन में थर्मल स्कैनिंग के उपकरण लगाए गए हैं. जिसे ड्रोन को ऑपरेटिंग सिस्टम से चलाया जाता है. इसमें से लेजर लाइट निकलती है जो लोगों शरीर पर जाती है.
वहीं से लोगों में बुखार है या नहीं इसकी जानकारी ऑपरेटिंग सिस्टम की स्क्रीन पर आ जाती है. यह कुछ ही प्रत्येक पांच-सात सैंकेड से भी कम समय में हर व्यक्ति की थर्मल स्कैनिंग कर सकता है. इसमें लाउडस्पीकर भी लगा है. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को बुखार पता चलता है तो उसके कपड़ो का रंग के माध्यम से नीचे बुलाकर उसकी जांच कराई जा सकती है. साथ ही इसमें लगा एचडी कैमरा उस व्यक्ति की फोटो भी खींच लेता है.