जिला प्रशासन द्वारा दोषियों पर कार्रवाई व एनटीपीसी से मुआवजा मिलने में हो रही देरी से नाराज रैयत पहुंचे हाईकोर्ट
चतरा: चतरा के टंडवा प्रखंड में संचालित नार्थ कर्णपुरा पॉवर प्रोजेक्ट प्रबंधन द्वारा अधिग्रहित क्षेत्र से बाहर रैयती भूमि पर बने ग्यारह रैयतों का मकान जबरन तोड़े जाने के मामले में एनटीपीसी अब चौतरफा घिरता जा रहा हैं. मामले में एनटीपीसी प्रबंधन के साथ-साथ जिला प्रशासन की भी मुश्किल बढ़ती नजर आ रही हैं.
एनटीपीसी द्वारा रैयतों का घर तोड़े जाने का मामला अब पूरी तरह तूल पकड़ लिया है. पीड़ित भु-रैयतों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं. दो माह बीत जाने के बावजूद किसी तरह का समाधान नहीं निकलने व दोषी एनटीपीसी प्रबंधन पर कार्रवाई में देरी से परेशान भु-रैयतों ने हाईकोर्ट के शरण में जाकर न्याय का गुहार लगाया हैं. जिसके बाद रांची हाईकोर्ट के अधिवक्ता मितुल कुमार ने एनटीपीसी प्रबंधन समेत जिला के वरीय अधिकारियों से कोर्ट में अपना जबाब दाखिल करने को ले नोटिस भेजा है.
मामले में एनटीपीसी प्रबंधन के अलावे जीएम, डीसी, डीएलओ और टंडवा अंचल अधिकारी को आरोपी बनाया गया है. रैयतों का आरोप है कि एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक असीम गोस्वामी के आदेश पर जीएम परियोजना तजेंद्र गुप्ता व सुहेल खान के द्वारा रैयतों के दस घरों को बगैर किसी सूचना तोड़ दिया था.
एनटीपीसी बाउंड्रीलाइन से सटे राहम मौजा के खाता 735 में सभी रैयती भूमि पर भुरैयतों का मकान तोड़ दिया गया था. मकान तोड़ने के बाद टंडवा सीओ द्वारा मामले की जांच कर दस मकान अति छतिग्रस्त किए जाने की रिपोर्ट सौंपी गई थी. बावजूद दो महीने बीत जाने के बाद भी ना ही जिला प्रशासन द्वारा एनटीपीसी पर कार्रवाई की गई और ना ही तोड़े गए दस मकान का मुआवजा ही रैयतों को दिया गया.