नीता शेखर,
“तुमसे मिले दिल में उठा दर्द करारा…”
मंदिर में घंटी बजने की आवाज जोर-शोर से आ रही थी, काफी चहल-पहल थी मैं भी मंदिर जाना चाहती थी पर भीड़ की वजह से नहीं जा पा रही थी. काफी देर इंतजार के बाद मौका मिला तो मैं मंदिर पहुंची, अब वहां भीड़ काफी कम हो गई थी.
जब मैं पूजा करके वापस आ रही थी, तभी मैंने देखा कुछ लोग एक आदमी को बुरी तरह से पीट रहे थे वह आदमी बार-बार चिल्ला रहा था मैं चोर नहीं हूं. और वहां पर कोई उसकी बातें सुन ही नहीं रहा था बस सभी उसे पीटे जा रहे थे. पीटते पीटते जब वह बेहोश हो गया तो लोगों ने उसे छोड़ दिया. मुझे बहुत ही अजीब सा लगा क्या “इंसानियत” यही है किसी को मार मार के मार दो या बेहोश कर दो!
जब मैंने पूछा कि क्या हुआ था उन्हें खुद ही नहीं पता था ना उन्होंने देखा कुछ लोग उसे पीट रहे थे सभी ने पीटना शुरू कर दिया.
वाह रे इंसानियत कोई कारण भी नहीं जानना चाहता, बस सब कर रहे हैं तो हमें भी कर देना चाहिए मैंने वहां पर उपस्थित पुलिस वालों से उसकी मदद करने को कहा पहले तो आनाकानी कर रहे थे पर मेरे जोर देने पर वह तैयार हो गए. पहले तो उसे होश में लाना जरूरी था खैर उन लोगों ने पानी के छींटे मार कर उठाया फिर उन्होंने उससे पूछना शुरू किया.
सबसे पहले उसने बताया कि वह मोतिहारी से रांची आया था शादी के सिलसिले में लड़की देखने. सभी लोग होटल में ठहरे हैं वह घूमते घूमते इधर आ गया वह अपनी ही धुन में जा रहा था कि किसी से टकरा गया , वह लड़की अचानक गिर पड़ी उसने देखा वह 12 सीढ़ी चढ़ा था कि उसने पीछे देखा. वह गिर पड़ी थी, मैंने इंसानियत के नाते उसे उठाना चाहा तो उसने हल्ला कर के लोगों को बुला लिया मैं लाख समझाता रहा पर वह सुनने के लिए तैयार नहीं थे. या यूं कहिए कि वह सुनना ही नहीं चाहते थे .
उन्होंने उसके ऊपर इल्जाम लगाकर पीटना शुरू कर दिया. सच में आज की दुनिया में दया, भाव ,इंसानियत, नाम की कोई चीज ही नहीं है, बिना कारण जाने एक-दूसरे से उलझ जाते हैं. फिर उस लड़के ने अपने होटल का नाम और पता बताया तभी पुलिसवाले उसे लेकर चले गए.
मैं भी अपने घर वापस आ गई कुछ दिनों बाद पता चला मेरे पड़ोस में रहने वाली मीना भाभी के बेटी की शादी तय हो गई सगाई है और हम सब को भी सगाई में आने का बुलावा आया था. सगाई के दिन हम सब भी पहुंचे वहां पहुंचने पर काफी लोगों से मुलाकात हुई बहुत दिन बाद कोई फंक्शन था इसलिए सब से मिलकर अच्छा लग रहा था इतने में सगाई की पुकार होने लगी. हम सब स्टेज के पास पहुंचे तभी अचानक मेरी नजर उस लड़के पर पड़ी यह वही लड़का था जिसे लोगों ने पीट-पीटकर बेहोश कर दिया था. मैं जब स्टेज पर आशीर्वाद देने पहुंचे तो उस लड़के ने पहचान लिया. उसने हाथ जोड़कर तुरंत कहा आंटी अगर आप उस दिन ना होती तो शायद मैं आज यहां सगाई नहीं कर रहा होता, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
उसने बताया मैं ठीक होने के बाद आप को खोजता रहा पर आप नहीं मिली मैंने उसे कहा चलो जो हुआ उसे भूल जाओ आज से जिंदगी का नया सफर शुरू हो रहा है हमेशा खुश रहो फिर सभी सगाई में व्यस्त हो गये.
अचानक मैंने देखा कुछ औरतें लड़का लड़की के बारे में बात कर रही थी, मैं भी उनके पास पहुंची. जब लड़का लड़की देखने आया था तो मंदिर में लड़की ने उसकी पिटाई करवा दी थी. लड़की अचानक लड़के को देखकर डर गई थी अब मेरी सारी पोल खुल जाएगी , पर लड़के और उसकी परिवार ने रूही को पसंद कर लिया था. आज उनकी सगाई हो रही थी मैं सोच रही थी आज भी कुछ लड़के हैं जो इंसानियत दिखाते हुए पुरानी बातों को भूल कर अपना बना लेते हैं पर कुछ लोग ऐसे भी होते जो बिना सोचे समझे भीड़ में शामिल हो जाते है कि अरे जो कुछ हो रहा है जरूर सही बात होगी इस तरह से कई असामाजिक लोग भी शामिल हो जाते हैं. वह किसी की भावनाओं को समझना ही नहीं चाहते बस सब दौड़े जा रहे हैं तो हम भी दौड़ लेते हैं. क्या करें बस लोग को दया नहीं बल्कि सब पर जुनून इतना हावी हो गया है कि लोग कुछ भी कर सकते हैं, चाहे किसी की जान ही क्यों ना लेना हो इंसानियत,दया भाव, लगाव, यह सब तो अब केवल बोलने के शब्द रह गए हैं.