छह महीने तक वित्त विभाग और बैंक के मकड़जाल में फंसा रहा मामला
पेंशन का मामला इतना पेचीदा की 200 में से सिर्फ 36 का ही हुआ निष्पादन
रांची: थर्ड और फोर्थ ग्रेड कर्मियों की बात तो दूर, जिस गजेटेड अफसर ने 30 साल विभाग की सेवा की, उसी विभाग ने अफसर को मायूस कर दिया। झारखंड में पेंशन निर्गत करने का मामला काफी पेचीदा हो गया। अक्सर पेंशन नहीं मिलने की शिकायतें सरकार को मिलती हैं। खासकर सरकारी कर्मियों के पेंशन के मामले भी सामने आ रहे हैं। नियम तो यह है कि जिस दिन कर्मचारी रिटायर करते हैं, उसी दिन पेंशन सहित अन्य लाभ देने का प्रावधान है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। राज्य बंटवारे के समय वित्त विभाग के एसएस दूबे ने झारखंड कैडर चुना। वे वित्त विभाग में डिप्टी सेक्रेट्री के पद से रिटायर हुए। लेकिन उनके पेंशन का मामला वित्त विभाग और बैंक के मकड़जाल में फंसा रहा। जबकि वित्त विभाग ही पेंशन निर्गत करता है।
बैंक ने नियमों को भी नहीं माना
वित्त विभाग के पूर्व डिप्टी सेक्रेट्री एसएस दूबे ने पेंशन संशोधन के लिए पटना में केंद्रीय पेंशन प्रोसेसिंग सेंटर को भेजा। वहां से पेंशन संशोधन हो कर आ गया। इसके बाद एजी ने बैंक को भेजा। अब बैंक ने अडंगा लगा दिया। बैंक ने कहा कि ट्रेजरी अफसर साइन करेगा तभी पेंशन निर्गत होगा। इस पर सरकार ने बैंक से कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है। शुक्रवार को राष्ट्रीय पेंशन अदालत में यह मामला पहुंचा। वहां मौजूद एसबीआइ(स्टेट बैंक आॅफ इंडिया) के एजीएम ने कहा कि इस मामले का निष्पादन कर दिया जाएगा।
कृषि विभाग के उपनिदेशक का पेंशन लटका
कृषि विभाग के उपनिदेशक के पद पर तैनात श्री सिंह का पेंशन का मामला छह महीने से लटका हुआ है। श्री सिंह हजारीबाग से उपनिदेशक पद से रिटायर हुए। उन्होंने पेंशन के लिए अप्लाई किया। लेकिन कृषि विभाग की लेटलतीफी के कारण उनका आवेदन एजी को नहीं भेजा जा सका। इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय पेंशन अदालत में की गई।श्री सिंह को आश्वासन दिया गया कि जल्द ही पेंशन का मामला निष्पादित कर लिया जाएगा। पेंशन के पेचीदे मामलों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय पेंशन अदालत में कुल 200 मामले आए, जिसमें सिर्फ 36 का ही निष्पादन हो सका। शेष 164 मामलों पर कहा गया कि जल्द ही इन मामलों का निष्पादन कर लिया जाएगा।