गिरिडीह: कोयला बहुल बेरमो विधानसभा में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है. इस सीट से राजेंद्र प्रसाद सिंह कांग्रेस के टिकट पर लगातार आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. योगेश्वर महतो, बाटुल भाजपा के टिकट पर चौथी बार चुनाव मैदान में हैं. बीते तीन चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर संघर्ष इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच होना है. इस संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में अन्य दल लगे हैं. राजेंद्र प्रसाद सिंह गठबंधन के प्रत्याशी हैं. पिछली सरकार में सहयोगी रही आजसू पार्टी ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारा है. इस बार चुनाव में मैदान कौन मारता है, यह 23 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा.
इस सीट से खड़े उम्मीदवार
झारखंड मुक्ति मोर्चा (उल्गुलान) से सलीमुद्दीन अंसरी, शिवसेना से बैजनाथ गोरैन, निर्दलीय गंगाधर प्रजापति, लोक जनशक्ति पार्टी से उमेश रवानी, झारखंड पार्टी (सेकुलर) से सबीता देवी, जोहार पार्टी से राम किंकर पांडेय, बसपा से समीर कुमार दास, भाजपा से योगेश्वर महतो बाटुल, कांग्रेस से राजेन्द्र प्रसाद सिंह, आरपीआई (ए) से कालेश्वर रविदास, आजसू से काशी नाथ सिंह, सीपीआई से मो. आफताब आलम खान, निर्दलीय राजेश कुमार, सुबोध महतो, खिरोधर किस्कू, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) से चंदन कुमार.
अब तक ये रही है स्थिति
वर्ष 1957 में बेरमो विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ. कांग्रेस सह इंटक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने वर्ष 1962, 1967, 1969 तथा 1972 में जीत दर्ज की. कांग्रेस और इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह वर्ष 1985, 1990, 1995, 2000 और 2009 में यहां से विधायक बने. वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर समाजवादी नेता मिथिलेश सिन्हा ने जीत दर्ज की. 1980 में भाजपा के टिकट पर मजदूर नेता रामदास सिंह ने चुनाव जीता. 2005 और 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर योगेश्वर महतो बाटुल ने जीत दर्ज की.