नई दिल्ली : कोरोना काल में स्कूलबंद चल रहे है,और ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चों का स्क्रीन टाइम चार गुना बढ़ गया है. ऐसे में इससे होने वाले नुकसान को लेकर अभिभावक चिंतित हैं. एम्स के नेत्ररोग विशेषज्ञ बताते हैं कि कुछ उपायों से इसके दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है. सबसे जरूरी है कि बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट को आंखों से कम से कम 33 सेमी यानी करीब 13 इंच की दूरी पर रखें.
एम्स नई दिल्ली के डॉ. आरपी सेंटर फॉर आप्थैल्मिक साइंसेज के विशेषज्ञ प्रो. राजेश सिन्हा के अनुसार यह दूरी पढ़ने के लिए आरामदायक है, जिसे मेडिकल भाषा में कम्फर्टेबल रीडिंग डिस्टेंस कहते हैं. डिवाइस नजदीक होने पर आंखों पर जोर पड़ेगा. इससे आंखों व सिर में दर्द और थकान हो सकती है. प्रो. सिन्हा बताते हैं कि एम्स में रोज 10 से 15 बच्चों के अभिभावक नेत्र संबंधी परेशानियों को लेकर पहुंच रहे हैं.
स्क्रीन की ब्राइटनेस का रखें ध्यान
डॉ. राजेश के मुताबिक देखा गया है कि ऑनलाइन क्लास के दौरान अभिभावक स्क्रीन की ब्राइटनेस बहुत अधिक कर देते हैं. उन्हे लगता है कि बच्चा इससे अच्छी तरह से देख पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है. हर डिवाइस की ब्राइटनेस का एक मानक होता है. बहुत अधिक ब्राइटनेस बढ़ने से आंखों को कष्ट होगा. स्मार्ट डिवाइसेस में कई तरह के ब्राइटनेस मोड आते हैं. उनका प्रयोग करें.
हर मिनट पलक का 10 से 12 बार झपकना जरूरी
डॉ. राजेश के अनुसार बच्चे स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रखते हैं. औसतन प्रति मिनट दस से बारह बार पलक झपकना चाहिए. पर यह कई बार छह से सात या इससे भी कम हो जाती है. इससे पुतलियों में जरूरी द्रव नहीं पहुंच पाते और आंखों में सूखेपन से परेशानी होती है.