नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019 को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में पीएम मोदी ने कहा कि दिसंबर के महीने में नागरिकता संशोधन बिल संसद से पास कराया गया.
विपक्ष के जरिए इस कानून को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कहा कि यह दलित, पीड़ित, शोषितों के भविष्य के लिए पास हुआ है.
पीएम ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम पर झूठ बोलकर अफवाह फैला रही है और मुसलमानों को डरा रही है.
उन्होंने कहा, ‘इस बिल के पास होने के बाद कुछ राजनीतिक दल अफवाहें फैलाने में लगे हैं. वे लोग भ्रमित कर रहे हैं, भावनाओं को भड़का रहे हैं.’
दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित भाजपा की धन्यवाद रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विविधता में एकता-भारत की विशेषता है. जीवन से जब अनिश्चितता निकल जाती है, एक बड़ी चिंता हट जाती है तो उसका प्रभाव क्या होता है, ये मैं आज आप सभी के चेहरों पर देख रहा हूं.
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के सामने पहुंच गईं. कुछ साल पहले तक यही ममता दीदी संसद में खड़े होकर गुहार लगा रही थी कि बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को रोका जाए, वहां से आए पीड़ित शरणार्थियों की मदद की जाए. संसद में स्पीकर के सामने कागज फेंकती थी.
उन्होंने कहा कि दीदी, अब आपको क्या हो गया? आप क्यों बदल गयी? अब आप क्यों अफवाह फैला रही हों? चुनाव आते हैं, जाते हैं, सत्ता मिलती है चली जाती है, मगर आप इतना क्यों डरी हो. बंगाल की जनता पर भरोसा करो, बंगाल के नागरिकों को आपने दुश्मन क्यों मान लिया है?
पीएम ने कहा कि ये ऐसे लोग हैं जिन्हें जम्मू कश्मीर की विधानसभा में महिला और पुरुष के आधार पर बने स्थाई निवासी कानून से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों का रास्ता आसान हो, इससे इन्हें दिक्कत हो रही है.
मोदी ने कहा, ‘मैं इन भ्रम फैलाने वाले, झूठ बोलने वालों से पूछना चाहता हूं कि जब मैंने दिल्ली की सैकड़ों कॉलोनियों को वैध किया तो क्या किसी से पूछा था कि आपका धर्म क्या है, आपकी आस्था क्या है, आप किस पार्टी को वोट देते हैं, आप किस पार्टी के समर्थन हैं? क्या हमने आपसे कोई सबूत मांगे थे? 70 का सबूत लाओ, 75 का सबूत लाओ, 80 का सबूत लाओ, क्या हमने मांगा था?’
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा भारत में नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह की मांग को ठुकरा दिया गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को एक रैली में सरकार को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर उसे नागरिकता संशोधन कानून पर इतना भरोसा है, तो वह इस पर यूएन की देखरेख में जनमत संग्रह करा ले. हालांकि, शुक्रवार को ममता ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कानून पर जनमत संग्रह की नहीं, बल्कि ओपनियन पोल कराने की बात कही थी.
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजैरिक ने शुक्रवार को कहा कि यूएन जनमत संग्रह से जुड़े किसी भी मामले में सिर्फ राष्ट्रीय सरकार के अनुरोध पर ही जुड़ता है.
डुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नियम कहते हैं कि वह केवल सरकार की मांग पर ही किसी देश के चुनाव या जनमत संग्रह से जुड़ते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यह बयान सिर्फ ममता बनर्जी की मांग पर ही नहीं, बल्कि यूएन जिस तरह काम करता है यह उस पर आधारित है.