दिल्ली: भारत के कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा है कि लॉकडाउन के दौरान पैदल ही या साइकिलों पर अपने घरों की ओर निकलने वाले श्रमिक भाई थोड़े अधीर हो गए थे. नरेंद्र तोमर का मानना है कि प्रवासी मजदूरों को कुछ इंतजार करना चाहिए था.
जब उनसे पूछा गया कि पहले चरण का लॉकडाउन घोषित करते वक़्त सरकार को प्रवासी संकट का अंदाजा हो जाना चाहिए था और क्या सरकार में इस पर चर्चा हुई है तो उन्होंने कहा, “सरकार को हमेशा से पता था और सरकार को पूरी जानकारी है कि बेहतर आर्थिक परिस्थितियों के लिए लोग एक इलाके से दूसरे इलाके में जाते हैं. ये स्वभाविक है कि जब लॉकडाउन की स्थिति होगी तो लोग असुरक्षित महसूस करेंगे और अपने घर जाना चाहेंगे और ऐसा ही हुआ.”
लेकिन क्या जिस तादाद में लोगों की मौत हुई और जितनी परेशानियां उन्हें उठानी पड़ी यह इस बात का सबूत नहीं है कि योजना बनाने और उसे लागू करने में कमियां रहीं?
बीबीसी ने जानकारी जुटाई है कि 26 मई 2020 तक घर जाने की कोशिश के दौरान कम से कम 224 प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई है.
“मुश्किल वक्त में सभी दिक्कतों का सामना करते हैं, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने पूरा सहयोग किया. स्वास्थ्य से जुड़े और लॉकडाउन से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन किया गया. दुर्भाग्यवश पैदल चलने या रेलवे ट्रेक पर चलने के दौरान लोगों की मौत हुई. लेकिन हमें ये भी देखना होगा कि हर व्यक्ति जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता था.
एक ही गंतव्य स्थान के लिए ट्रेन उपलब्ध थी लेकिन दस स्थानों को जाने वाले लोग इकट्ठा हो गए. ऐसे में जब तक अगली ट्रेन नहीं आएगी, लोगों को इंतेजार करना होगा. ऐसे में कहीं न कहीं हमारे श्रमिक भाई थोड़े अधीर हो गए थे और इसी वजह से बिना किसी का इंतेजार किए कुछ साइकिलों पर और कुछ पैदल ही निकल पड़े. मुश्किलें सबने उठाई हैं, उन लोगों ने भी जो अपने घरों में ही थे.”