नई दिल्लीः पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 12 दिसंबर को सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को इस मांग का पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कश्मीर में भय का वातावरण होने और दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ने की बात कही.
उसी दिन यूएन ने अंतरधार्मिक बातचीत और शांति पर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. यूएन ने इस प्रस्ताव में करतारपुर करतारपुर कॉरिडोर खोलने के फैसले का स्वागत किया और इसे अंतरधार्मिक भावनाओं का सम्मान और पड़ोस में शांति कायम रखने की दिशा में एक पहल बताया.
यह सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के बीच चर्चा का केंद्रबिंदु बन गया क्योंकि यह प्रस्ताव किसी और ने नहीं बल्कि खुद पाकिस्तान ने ही तीन अन्य देशों के साथ मिलकर पेश किया था.
ज्यादातर देशों ने करतारपुर कॉरिडोर की पहल के संदर्भ और प्रस्ताव की भाषा को कुरैशी के पत्र से अलग पाया. उन देशों को लगा कि पाकिस्तान और चीन जिस मुद्दे को उठा रहा है, उसे द्विपक्षीय स्तर पर ही बेहतर तरीके से निपटाया जाना चाहिए.
प्रस्ताव का शीर्षक था ‘अंतरधार्मिक और अंतरसांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा, शांति के लिए सहयोग की समझ’ था.
इस प्रस्ताव में करतापुर साहिब कॉरिडोर खोलने के फैसले का स्वागत करते हुए भारत-पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुए समझौते की सराहना की गई थी.
चीन ने पाकिस्तान की तरफ से 17 दिसंबर को सुरक्षा परिषद की मीटिंग की मांग की थी ताकि कश्मीर के हालात पर चर्चा हो सके, लेकिन परिषद के शेष चार देशों के समर्थन के अभाव में यह संभव नहीं हो सका. एक फ्रेंच राजनयिक सूत्र ने तब कहा था कि कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाना चाहिए.