25 अगस्त 2017 का दिन पंचकूला निवासियों पर काफी भारी रहा था। उस दिन की दहशत को यहां के निवासी अभी भी याद करके कांप जाते हैं। दो साल पहले पंचकूला को डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराने के बाद उसके गुंडों द्वारा पंचकूला में जमकर हिंसा और आगजनी की। पंचकूला बुरी तरह जल रहा था। हर तरफ आग की लपटें और दौड़ती भीड़ थी। कहीं गोलियां चल रही थीं, तो कहीं डंडे बरस रहे थे। हिंसा के दो साल बीत जाने के बाद भी लोगों के जख्म नहीं भरे हैं।
कुछ मरहम लगाते हुए हरियाणा सरकार वादा किया था कि पीडि़तों को मुआवजा मिलेगा, लेकिन दो साल बाद भी किसी को मुआवजा नहीं मिला और न ही कोई पूछने आया। अभी भी लोग हिंसा के मंजर को भूला भी नहीं पाए हैं। राम रहीम को दोषी ठहराने के पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत के फैसले से नाराज उपद्रवियों ने सडक़ पर खड़े व्हीकल्स को आग लगा दी थी।इसके बाद देशद्रोह के अलग-अलग मामले दर्ज किए गए, लेकिन दो केसों को छोडक़र बाकी 8 केसों में गृहसचिव ने देशद्रोह की धारा लगाने की परमिशन नहीं दी, जिसे दोबारा रद्द कर दिया।
पंचकूला पुलिस ने दोबारा से इन एफआइआर की रिपोर्ट गृहसचिव को भेजी है, जिसमें एफआइआर नंबर-345 के सभी सबूतों की कॉपी को लगाया गया है। इससे भी हैरानी की बात तो यह है कि मामले के दो साल बीत जाने के बाद भी पुलिस सभी आरोपितों को पकड़ नहीं पाई है।
मुख्य आरोपितों में आदित्य इंसां, विपासना पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। आदित्य इंसां पर 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये का इनाम रखा जा चुका है। इसी केस में हनीप्रीत का नाम आने के बाद डेरे की चेयरपर्सन विपासना का नाम भी आया था। विपासना के अरेस्ट वारंट भी जारी किए गए। वह डेरा सच्चा सौदा सिरसा में ही है। इसके बावजूद अभी तक उसे पकड़ा नहीं जा सका है। उसे पकड़ा न जाना पंचकूला पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करता है। पंचकूला को जलाने की प्लानिंग करने वाले मोस्टवांटेड अभी भी फरार हैं।