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खुले रहे साप्ताहिक हाट, भीड़ का रहा अभाव
हजारीबाग(बरकट्ठा): झारखंड सरकार ने 31 मार्च तक पूरे प्रदेश को लॉक डाउन कर दिया है. जीवन रक्षक आवश्यक सेवाओं को छोड़ सभी वाहन, प्रतिष्ठान बंद करने का फरमान जारी किया गया है.
लोगों को इसमें सहयोग करने व संयम से रहने की बात कही गयी है. बरकट्ठा प्रखंड में लॉक डाउन का आंशिक प्रभाव देखा गया.
हालांकि सुबह पुलिस प्रशासन की सख्ती से गैर जरूरतमंद दुकानों को बंद करवाया गया. भीड़-भाड़ एवं पांच से अधिक लोगों को एक साथ मजमा लगने से रोकने का प्रयास किया गया.
पुलिस पूरे दिन गश्ती करती रही. वहीं बरकट्ठा पुलिस ने माइक से आनाउंस कर लॉक डाउन नियमों का अनुपालन करने का अपील किया गया.
अपील पर कई लोगों ने अपनी अपनी दुकानें बंद की. कुछ दुकाने दोपहर बाद खुली. ज्यादातर मेडिकल स्टोर, राशन दुकान, सब्जी व फल दुकान खुले थे.
दूसरी तरफ सामुदायिक अस्पताल की लचर व्यवस्था से लोग परेशान दिखे. अस्पताल में न मास्क और न ही सेनिटाइजर की व्यवस्था अब तक हो पाई है.
वहीं सोमवार को अस्पताल में सुबह से ही दर्जनों संदिग्ध मरीजों की भीड़ इकट्ठा हो गई. मुम्बई, पूना, दिल्ली से लौटकर पहुंचे लोग अस्पताल में कोरोना की प्रारंभिक जांच के लिए लाइन में खड़े थे. जहां एक मात्र चिकित्सक कार्तिक उरांव मौजूद थे.
गौरतलब हो कि कोरोना जैसी माहमारी और आपातकाल में अस्पताल में व्यवस्था के साथ चिकित्सकों का उपलब्ध न रहना लोगों के लिए परेशानी का सबब है.
घंटों तक दर्जनों संदिग्ध मरीज लाइन में खड़े रहे. लोगों का कहना है कि रेपिड रिस्पांस टीम सिर्फ कागजों पर काम कर रही है.
रेपिड रिस्पांस टीम को रेस्पोंस लेना चाहिए. इस विपरीत घड़ी में जनता के साथ-साथ अधिकारियों को भी जिम्मेदार होने की जरूरत है.
समाजसेवी दर्शन सोनी ने कहा कि ग्राउंड स्तर पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. ज्ञात हो कि कोरोना के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है.
सोशल डिस्टेंस व घर में रहकर ही इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है. लोगों स्वयं सजग, संयमित रहकर महामारी से मुकाबला करें.
बीते दिन रविवार को जनता कर्फ़्यू का लोगों ने अभूतपूर्व समर्थन किया. आगे भी इसी तरह का समर्थन बना रह पाएगा इसका इंतजार रहेगा.
वहीं मेडिकल आपात स्थिति को देखते हुए बरही एसडीओ आर एन आलोक ने क्षेत्र में धारा 144 लागू किया गया.