दिल्ली में तितलियों की प्रजातियों का पता लगाने के लिए पहली बार 2017 में तितली गणना कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। वर्ष 2018 में भी दिल्ली-एनसीआर की 100 से ज्यादा जगहों पर तितली गणना आयोजित की गई। इन दोनों साल की गणना के आधार पर प्लेन टाइगर को राज्य तितली बनाने की कवायद शुरू की जा रही है। माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार की ओर से इस साल सितंबर में होने वाली तितली गणना कार्यक्रम में इसकी घोषणा की जा सकती है।राजधानी के प्रदूषण में भी फलने-फूलने वाली ‘प्लेन टाइगर’ नामक तितली को दिल्ली की राज्य तितली का दर्जा मिल सकता है। दो साल से लगातार चलाए गए तितली गणना कार्यक्रम में यही तितली ऐसी मिली, जो दिल्ली की सभी जगहों पर बड़ी तादाद में पाई जाती है। इसके चलते इसे दिल्ली की राज्य तितली बनाने की कवायद शुरू की गई है।
तितली गणना कार्यक्रम का आयोजन करने वाले असोला भाटी वन्यजीव विहार में शिक्षण एवं संरक्षण कार्यक्रम के संयोजक सोहेल मदान बताते हैं कि प्लेन टाइगर तितली दिल्ली में सभी जगहों पर समान रूप से पाई जाती है। इसी के चलते इसे राज्य तितली बनाने का प्रस्ताव दिया जा रहा
प्लेन टाइगर ऑक या मदार के पेड़ पर अपने अंडे देती है। इसी की पत्तियां खाकर इसकी इल्ली (कैटर पिलर) जीवित रहता है और प्यूपा में तब्दील हो जाता है। ऑक की पत्तियां खाने के चलते इसके अंदर भी कुछ जहरीले तत्व चले जाते हैं, जिसके चलते इसे खाने से पक्षी भी परहेज करते हैं।
तितली विशेषज्ञ शांतनु बताते हैं कि प्लेन टाइगर तितली को शहरी वातावरण ज्यादा पसंद आता है। यह दिल्ली के प्रदूषण से तालमेल बिठाकर जीना सीख चुकी है। इसके चलते दिल्ली के पार्कों में इसे आसानी से देखा जा सकता है।
इससे पहले महाराष्ट्र और केरल ने अपने-अपने यहां तितली की विशेष प्रजाति को राज्य तितली का दर्जा दिया है। महाराष्ट्र ने ब्लू मोरमोन और केरल ने बुद्ध मयूरी को अपनी राज्य तितली घोषित किया है।